औरंगजेब ने क्यों मांगी थी ऐसी मौत, कट्टर मुस्लिम मुगल शासक का ऐसे हुआ था अंत
Aurangzeb : मुगल इतिहास के पन्नों में सबसे क्रूर और कट्टर शासक औरंगजेब को जब एहसास हुआ की उसकी मौत पास है, तो उसे अपने गुनाहों पर गुमान था. वो ये भी जानता था कि उसने गुनाह किए हैं. जिसके लिए अल्लाह उसे....
Aurangzeb : अपनी मौत से पहले औरंगजेब ने लिखा था कि मेरी मौत पर ना तो कोई दिखावा हो और ना ही कोई आंसू बहाया जाए. कोई समारोह भी ना हो. मेरी कब्र पर कोई इमारत ना बनवाई जाए. कब्र पर सिर्फ एक चबूतरा हो जिस पर पेड़ की छांव भी ना पड़ें.
औरंगजेब लिखता है कि मैं नहीं चाहता कि मुझे छांव भी नसीब हो. मौत के बाद मेरा चेहरा भी ढका ना जाए ताकि अल्लाह से सीधे मिल सकूं. अपनी आखिरी समय में औरंगजेब ने खुद को पापी और नाकाम बादशाह तक कहा .
औरंगजेब ने कहा कि मैंने जो दूसरों के साथ किया है, वहीं मेरे अपने लोगों के साथ होगा. मैं नाकाम बादशाह साबित हुआ हूं. अल्लाह से मिलने की घड़ी पास है. मेरे गुनाह ऐसे हैं जिसे वो कभी भी माफ नहीं करेंगे.
कट्टर मुसलमान औरंगजेब ने सत्ता का भूखा था. अपने पिता शाहजहां और दो बड़े भाईयों को मार कर गद्दी पर बैठे औरंगजेब ने, अकबर के बंद किए जजिया कर को दुबारा लगाकर गैर मुस्लिम और हिंदुओं की कमर तोड़ कर रख दी थी.
औरंगजेब को गैर मुस्लिमों से नफरत थी, वो हिंदुओं से नफरत करता है. औरंगजेब मुगलों शासकों में सबसे ज्यादा समय तक भारत पर राज करने वाला बदशाह बना था जिनसे साल 1658 से 1707 तक राज किया. औरंगजेब ने इस दौरान 1000 मंदिरों को तोड़ा था.कई मंदिरों की जगह मस्जिद बना दी गयी थी. 1669 में औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का भी आदेश दिया था.
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