Jaipur: देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) में बाल सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने ही विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्री बनकर सत्र चलाया. सदस्य बने बच्चों के प्रश्नों का जवाब भी बाल मंत्रियों ने दिया. बाल दिवस (Children's Day 2021) के मौके पर राजस्थान विधानसभा में यह ऐतिहासिक सत्र आयोजित किया गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधानसभाध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सरकार के मंत्रियों और विधायको के साथ कई पूर्व विधायक भी इन बाल सत्र के साक्षी बने. विधानसभा के इस अनूठे सत्र में प्रश्नकाल के साथ शून्यकाल भी हुआ. 


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समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में बालसत्र का आयोजन अविस्मरणीय रहेगा. देश की भावी पीढ़ी ने जिस सुव्यवस्थित तरीके और अनुशासन के साथ सत्र का संचालन किया है, उससे देश के नौजवानों को भी संदेश मिलेगा कि लोकतंत्र में उनकी क्या भूमिका हो सकती है? उन्होंने कहा कि मतदाता केवल वोट की ताकत ही नहीं रखता बल्कि उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भी सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए. इससे सरकार जवाबदेह होगी और शासन में पारदर्शिता आएगी. 


लोकसभा अध्यक्ष ने क्या कहा 
लोकसभा अध्यक्ष (Om Birla) ने कहा कि संसद और विधानसभा में कानून बनाते समय चर्चाओं के दौर कम होना चिंताजनक है. कोई भी कानून बनाते समय उस पर चर्चा होनी जरूरी है क्योंकि इससे ही निष्कर्ष निकलते हैं. इसमें जनता की भागीदारी भी जरूरी है क्योंकि कानून उनके लिए ही होते हैं. उन्होंने बच्चों के अभिभावकों का आह्वान करते हुए कहा कि वह अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारें और उनके टेलेन्ट को पहचानें. 


उन्होंने बच्चों से कहा कि वे उन्हें संसद की कार्यवाही भी दिखाएंगे. बिरला ने कहा कि यह एक अद्भुत नवाचार है, जो अन्य राज्यों में भी होना चाहिए. उन्होंने बच्चों की तारीफ करते हुए कहा कि बच्चे जिस तरह बिना कागज देखे पूरे आत्मविश्वास और गंभीरता से मुद्दों पर सवाल जवाब कर रहे थे. ऐसा तो असल में भी देखने को कम ही मिल पाता है. 


डॉ. सीपी जोशी ने क्या कहा 
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी (Dr. CP Joshi) ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि संसदीय लोकतंत्र की परंपरा से ही हमारा देश हर मापदंड पर दुनिया के विकसित देशों के बीच खड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बाल सत्र से हमें पता चला है कि अगले 25 सालों में हमारे सामने कौन से प्रश्न और चुनौतियां खड़ी होंगी, जिनके उत्तर हमें देने होंगे. उन्होंने कहा कि इन बच्चों के सवालों से हमें पता चलता है कि भविष्य में हमारी नीतियां क्या होंगी और उनमें क्या परिवर्तन होगा. 


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विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में 75 वें आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विधानसभा में बाल सत्र का संचालन किया गया. ऐसा सत्र देश में पहली बार हुआ है. उन्होंने कहा कि यह बाल सत्र संसदीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगा और लोकतंत्र को लेकर बच्चों के मन की जिज्ञासाओं को भी हम सब भी समझ सकेंगे. डॉ. जोशी ने कहा कि भावी पीढ़ी को सदन चलाने, प्रश्न पूछने और अनुशासन के साथ अपनी बात रखने का मौका दिया गया है. उन्होंने बताया कि बालसत्र के लिए पन्द्रह राज्यों के पांच हजार पांच सौ बच्चों ने ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसमें से दो सौ बच्चों का चयन किया गया. 


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्या कहा 
बाल सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रहनुमाई में पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आजाद, डॉ. भीमराव अम्बेकर जैसे महान नेताओं ने देश में संसदीय लोकतंत्र की नींव रखी. इस लोकतंत्र को निरंतर सशक्त और समृद्ध बनाना हम सबकी और भावी पीढ़ी की जिम्मेदारी है. संसदीय लोकतंत्र विविधताओं वाले इस मुल्क की खूबसूरती है. 


गहलोत ने कहा कि पं. नेहरू के जन्म दिवस को हम बाल दिवस के रूप में मनाते हैं. उनके जन्म दिवस पर विधानसभा में बाल सत्र जैसा अनूठा आयोजन देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं को और मजबूत करने की दिशा में सराहनीय कदम हैं. उन्होंने कहा कि यहां सदन में बैठे 200 बच्चे देश के करोड़ों बच्चों के प्रतिनिधि होने के साथ-साथ देश का भविष्य भी हैं. ऐसे जागरूक बच्चे ही भविष्य में देश की समस्याओं को दूर करने और नीति निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उन्होंने आह्वान किया कि भावी पीढ़ी़ संविधान की मूल भावना को अंगीकार कर देश को आगे बढ़ाने में अपनी रचनात्मक भूमिका का निर्वहन करें. 


मुख्यमंत्री ने इस विशेष सत्र के आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को साधुवाद देते हुए कहा कि नई पीढ़ी में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूकता लाने की दिशा में उनका यह प्रयास इतिहास में दर्ज हो गया है. गहलोत ने बाल सत्र में प्रश्नकाल की कार्यवाही को भी देखा. उन्होंने पक्ष-प्रतिपक्ष के रूप में बाल जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही विधानसभा की कार्यवाही के संचालन पर खुशी व्यक्त की. 


नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया ने क्या कहा 
इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया (Gulab Chand Kataria) ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष के साझा प्रयासों से आगे बढ़ता है. उन्होंने कहा कि सदन में दोनों मिलकर अच्छे सुझावों को आगे बढ़ाते हैं. कटारिया ने कहा कि जनता अपने वोट से प्रतिनिधि को चुनकर भेजती है और हर जन प्रतिनिधि को एक निश्चित अवधि के बाद जनता के बीच लौटना पड़ता है, यही लोकतंत्र की खूबी है. 


सीपीए के सचिव और विधायक संयम लोढ़ा ने अपने संबोधन में कहा कि यह बच्चे कल के भावी नेता हैं. इनके कंधों पर लोकतांत्रिक परम्पराओं के निर्वहन का भार है. उन्हें उम्मीद है कि इस बाल सत्र के ऐतिहासिक परिणाम होंगे. इस बाल सत्र में लगभग 50 प्रतिशत बालिकाएं थीं, जिसमें सुनहरे भविष्य की झलक दिखाई दे रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी के विधानसभा कार्य संचालन नियमों की पालना का ही परिणाम है कि कई बार ऐसा मौका आया है, जब प्रश्नकाल में सभी सूचिबद्ध प्रश्नों का उत्तर मिला हो. 


बच्चों के साथ फोटो सेशन
बाल सत्र में बच्चों ने निभाई अध्यक्ष, सदन के नेता, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री, मुख्य सचेतक, विधायकों की भूमिका बाल सत्र के दौरान सदन में बैठकर देश की भावी पीढ़ी ने जनता से जुड़े मुददों पर बहस की. बाल विधायकों ने जब मंत्रियों से प्रश्न कर जवाब मागें और मंत्री बने बच्चों ने पूरी जिम्मेदारी और संजीदगी से उत्तर भी दिए तो विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्री भी बच्चों की तैयारी से प्रभावित दिखे. बाल सत्र के बाद विधानसभा अध्यक्ष और लोकसभा स्पीकर ने सत्र में भाग लेने वाले बच्चों के साथ फोटो सेशन भी कराया.