Jaipur: जेजेएम में 2500 करोड़ रुपए का भष्ट्राचार, पानी पिलाना सबसे बड़ा धर्म,सरकार कर रही अधर्म-बालकनाथ
Jaipur: राजस्थान के जल जीवन मिशन में 2500 करोड़ रुपए के भष्ट्राचार का मामला सामने आया है. अलवर सांसद बाला बालकनाथ ने दावा किया है, हर घर जल पहुंचाने वाली केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन में गड़बढ़ी हो रही है. घटिया पाइप, मैटेरियल,फर्जी कंपनियों से टेस्टिंग को लेकर अफसरों के साथ-साथ उन्होंने सरकार को भी घेरा है.
Jaipur: राजस्थान में जल जीवन मिशन में एक बार फिर से भष्ट्राचार की परते खुलने लगी है.अलवर सांसद बाबा बालकनाथ के निरीक्षण के दौरान जिले में मिशन में बहुत खामियां नजर आई. जिसके बाद सांसद ने जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल को खत लिखकर जांच के आदेश दिए.
सांसद बाबा बालकनाथ ने 2500 करोड़ रुपए के भष्ट्राचार का दावा किया है.उन्होंने सरकार पर अफसरों से मिलीभगत के आरोप लगाए है.सांसद का कहना है कि जल जीवन मिशन में घटिया क्वालिटी के पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा है. पानी पिलाना सबसे बडा धर्म है. लेकिन सरकार लोगों को पानी से वंचित रखकर अधर्म का काम कर रही है.कांग्रेस के विधायक अफसरों से मिलकर पाप कर रहे है.
एसीएस को खत,कार्रवाई की जाए
1.बहरोड,भजनावास,नांगल स्तोकड़ा पंचायत समिति मुण्डावर में घटिया बदालिटी के पाइप डाले गये हैं. श्रीराम लैब दिल्ली से इसको जांच करायी जाए.
2 काफी जगह टंकी की डिजाइन में मृदा परीक्षण में एजेंसी के माध्यम गड़बड़ी कर विभाग के अभियन्ताओं ने स्टील बचाया है. जिससे करोड़ों का चूना मानक डिजाइन से बचने के लियए लगाया गया है. जिले में 10 टन से कम कैपेसिटी की मृदा परीक्षण वाले गांवों की सूची मुझे उपलब्ध करायी जाए. मृदा परीक्षण आईआईटी से फिर से कराया जाए.
3.मालाखेड़ा के मुंडिया में समस्त कार्य घटिया किया गया है. किशनगढ़बास में बसई कला,नागलिया में पाइप लाइन का कार्य बेहद घटिया तरीके से किया गया.
4.ठेकेदारो ने अवगत कराया है कि कुछ अभियंता कारखाना निरीक्षण में बिना जांचे पाइप फर्म से सांठगांठ कर पाइप सही बताकर साइट पर भेज देते है. ऐसे कई पाइप विभाग की जयपुर टीम की जांच में पिछले 2-3 साल में फेल हो गए. लेकिन आज तक ऐसे अभियंता जिन्होने पाइप सही बताए उनके विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई.उलटे ठेकेदार को दोषी मानकर कार्रवाई कर दी गई. जबकि कारखाना निरीक्षण पाले अभियन्ता इसमें दोषी है. सांसद के दौरे में ये खामिया मिलने के बाद अब देखना होगा कि विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल कब तक इन अफसरों पर कार्रवाई करते है, कितनों पर गाज गिरती है.
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