Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने स्थानीय निवासी और मतदाता नहीं होने के बावजूद मांदी ग्राम पंचायत के सरपंच को नवगठित फागी नगर पालिका का उपाध्यक्ष बनाने पर प्रमुख पंचायती राज सचिव, प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, निदेशक स्वायत्त शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश मांदी ग्राम पंचायत के सरपंच कैलाश नारायण स्वामी की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.


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अधिसूचना जारी कर बनाई नगर पालिका


याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023-24 के बजट प्रस्ताव में फागी को नगर पालिका क्षेत्र बनाने की घोषणा की थी. जिसके तहत राज्य सरकार ने गत 12 मई को एक अधिसूचना जारी कर फागी को ग्राम पंचायत से नगर पालिका बना दिया. वहीं इसमें मांदी ग्राम पंचायत के दो गांव मोहनपुरा रणवा व रामपुरा रेलवे को शामिल किया गया. इस दौरान फागी ग्राम पंचायत के सरपंच को नगरपालिका का अध्यक्ष और याचिकाकर्ता मांदी सरपंच को नगरपालिका का उपाध्यक्ष बना दिया. 



दोनों गांवों का निवासी नहीं


याचिका में इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा गया कि मांदी ग्राम पंचायत के जिन दो गांवों को फागी नगर पालिका में शामिल किया गया है, याचिकाकर्ता उन दोनों गांवों में से न तो किसी गांव का निवासी है और ना ही इन गांवों का मतदाता है. याचिकाकर्ता मांदी ग्राम पंचायत के रतनपुरा राजस्व ग्राम का निवासी है. जो कि फागी नगरपालिका में शामिल नहीं किया गया है. 


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पंचायती राज नियमों के तहत स्थानीय निवासी व मतदाता को ही संबंधित नगरपालिका का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य बनाया जा सकता है. इसके अलावा उसे पालिका का उपाध्यक्ष बनाने से पहले उसकी सहमति भी नहीं ली गई है. ऐसे में राज्य सरकार की 12 मई की अधिसूचना को रद्द कर याचिकाकर्ता को मांदी ग्राम पंचायत का सरपंच ही रहने दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.


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