Jaipur: प्रदेशभर में 29 अगस्त को हुए छात्रसंघ चुनावों में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की करारी हार की जिम्मेदारी लेने के साथ ही अब राजनीतिक गलियारों में गर्माहट एक बार फिर से देखने को मिली है. 


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बता दें कि बीते दिन एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी ने छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई को मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए भीतरघात करने वाले पर करारा निशाना साधा था.  साथ ही एनएसयूआई के फिर से उठ खड़े होने का भी विश्वास दिलाया था, लेकिन अभिषेक चौधरी के ट्वीट करने के एक दिन बाद ही अब सोशल मीडिया  बयानबाजियों का दौर शुरू  हो गया है. 


 



एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी ने ट्वीट करते हुए लिखा था "NSUI प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते मैं इन चुनावों के परिणामों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं. हम फिर खड़े होंगे, फिर लड़ेंगे, एक बात केवल यह कहना चाहूंगा कि भितरघात का कोई समाधान नहीं हैं. विभीषण और जयचंदों का कोई समाधान नहीं हैं. पृथ्वीराज फिर तराइन लड़े और फिर गौरी छल करके फिर जीते, अब इन जयचंदों को युवा जो कांग्रेस की विचारधारा से अपने आप को आलंगित करता है, माफ नहीं करेगा,,,"


 



एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी के ट्वीट का समर्थन करते हुए  सिरोही के विधायक संयम लोढ़ा ने लिखा की "चिरकूट मंडली तो जयचंदो पर मरी जा रही है भाई,ईनाम पा गए"


संयम लोढ़ा के ट्वीट करने के साथ ही एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने एक ट्वीट कर के राजनीतिक गलियारों में गर्माहट का माहौल पैदा कर दिया है.


 



अभिमन्यु पूनिया ने ट्वीट करते हुए लिखा कि  "जिन्होंने NSUI और कांग्रेस को अपने जीवन में हमेशा हराने और कमजोर करने का काम किया है,वो आज कांग्रेस के मजबूत युवा कार्यकर्ताओं को ज्ञान पेल रहे है"


आपको बता दें कि जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच में विवाद खड़ा हुआ था. उस समय सचिन पायलट का समर्थन करते हुए एनएसयूआई के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने अपने पद से इस्तीफा दिया था.


 अभिमन्यु पूनिया के इस्तीफा देने के बाद सरकार की ओर से एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी को बनाया  गया था जिसके बाद से ही अभिषेक चौधरी पर अभिमन्यु पूनिया के बीच में समय-समय पर सोशल मीडिया में बयानबाजी का दौर देखने को मिल जाता है. ,


बता दें कि, 26 अगस्त को प्रदेश के 17 विश्वविद्यालयों और 450 से अधिक कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव हुए थे. 27 अगस्त को मतों की गणना हुई. छात्रसंघ चुनाव के नतीजों में एनएसयूआई का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. 17 में से एक भी विश्वविद्यालय में एनएसयूआई अपना अध्यक्ष नहीं बना पाई. 9 विश्वविद्यालयों में निर्दलीय प्रत्याशी अध्यक्ष बने जबकि 6 विश्वविद्यालयों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रतिनिधि चुनाव जीते, 2 विश्वविद्यालयों SFI के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की.


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