क्या टाइगर जिंदा है? रणथंभौर से लापता 10 बाघ मिले, लेकिन 14 अभी भी गुम
Rajasthan News: बाघों की अठखेलियां को लेकर विश्व पटल पर अपनी खास पहचान बना चुके सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में मानों जैसे इन दिनों संकट के बादल मंडरा रहे है. क्योंकि बाघों को ढूंढने के लिए कमेटियों का गठन किया गया है.
Rajasthan News: राजस्थान के सवाई माधोपुर में जंगल के राजा के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. क्योंकि पिछले कुछ समय से नेशनल टाइगर रिजर्व से 25 बाघ गायब है. इसके बाद अब वन विभाग में हलचल तेज है. इसी बीच वन विभाग ने बाघों को ढूंढने के लिए कमेटी का गठन किया गया है. जांच कमेटी में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव अध्यक्ष, वन संरक्षक ड़ॉ. टी मोहनराज (जयपुर) और मानस सिंह उपवन संरक्षक (भरतपुर) को सदस्य नियुक्त किया है. यह जांच कमेटी बाघों के लापता होने के बाद सीसीएफ रणथम्भौर की ओर से बाघों को खोजने के लिए किए गए प्रयासों की जांच करेगी. साथ ही कमेटी किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की लापरवाही पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के प्रस्ताव पेश करेगी. कमेटी गठित करते ही बाघों के पुख्ता प्रमाण मिले है.
बाघों के अस्तित्व पर सवाल?
हैरानी की बात तो ये है कि जांच कमेटी गठित होते ही वन विभाग को एक साल से कम समय वाले मिसिंग 10 बाघों के पुख्ता प्रमाण भी मिल गए. जबकि 4 बाघों के जल्द मिलने की संभावना जताई जा रही है. जबकि 11 बाघों को अभी कमेटी ढूंढने का प्रयास कर रही है. राजस्थान में करीब 20 साल बाद एक बार फिर से बाघों के अस्तित्व पर सवाल खडे हो रहे है.
क्या जंगल में बाघ सुरक्षित?
ऐसे में अब देखना होगा कि वन विभाग कैसे और कब तक गुम हुए बाघों को ढूंढ निकालता है. क्या इंसानों के जंगल में दखल के कारण बार बार ऐसा हो रहा है? या फिर इसके पीछे कोई और वजह है. क्योंकि पिछले दिनों में बाघों ने इंसानों पर जानलेवा हमले भी किए थे. इसलिए अब सवाल है कि जंगल में बाघ सुरक्षित है भी या नहीं.
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