Jaipur News: राजस्थान के जयपुर के प्रसिद्ध अल्बर्ट हॉल संग्रहालय और रामनिवास बाग को अस्थायी रूप से दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है. इस बंदी का कारण चूहों की समस्या है, जो हाल के दिनों में बड़ी मात्रा में बढ़ गई है और संरचना को नुकसान पहुंचा रही हैं. चूहों की बढ़ती संख्या से न केवल संग्रहालय के अंदर रखी बेशकीमती धरोहरें खतरे में हैं, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चूहों की समस्या को देखते हुए प्रशासन द्वारा निर्णय लिया गया कि दो दिनों तक इन स्थानों को बंद रखा जाएगा और विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा. जो जयपुर की इस ऐतिहासिक धरोहर को देखने आए थे, वो बिना इसकी खूबसूरती निखर लौट गए. हालांकि इसको लेकर प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि समस्या का समाधान जल्द से जल्द कर दिया जाएगा और फिर से ये स्थल पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा. 


यह भी पढ़ेंः Rajasthan Weather Update: विदाई के वक्त फिर राजस्थान में एक्टिव हुआ मानसून! मौसम विभाग ने इन जिलों में जारी किया अलर्ट


जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल संग्रहालय और रामनिवास बाग में चूहों के आतंक के कारण दो दिनों के लिए अस्थायी बंद की खबर ने शहरवासियों के साथ-साथ विदेशी सैलानियों को भी चिंतित कर दिया है. इस समस्या का स्थायी समाधान क्यों नहीं किया जा रहा, यह एक बड़ा सवाल बन गया है, क्योंकि चूहों की बढ़ती संख्या से संरचनाओं और धरोहरों को लगातार खतरा बना हुआ है. चूहों की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए स्थायी उपायों की आवश्यकता है. 


अल्बर्ट हॉल और रामनिवास बाग जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर आधुनिक कीटनाशक या जहरीले रसायनों का उपयोग सीमित है, क्योंकि इससे संरचनाओं को नुकसान हो सकता है. रामनिवास बाग एक हरा-भरा क्षेत्र है, जो जैव विविधता से भरपूर है. यहां के वातावरण में चूहों की संख्या को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि चूहों के साथ अन्य जानवरों और पक्षियों पर भी इसका प्रभाव पड़ना निश्चित है. इस वजह से प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना भी एक चुनौती है. 


यह भी पढ़ेंः राजस्थान की भूतिया बावड़ी, जो चांदनी रात में हो जाती है सफेद!


 चूहों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बड़ी संख्या में संसाधनों और उच्च तकनीक की आवश्यकता है, जिससे खर्चा भी काफी बढ़ सकता है. चूंकि यह एक लगातार होने वाली समस्या है, प्रशासन को समय-समय पर इसकी निगरानी और उपचार के लिए बजट आवंटित करना होगा. फिलहाल प्रशासन अस्थायी उपायों जैसे कीटनाशकों, जाल और सफाई अभियानों के जरिए चूहों पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, ये उपाय केवल चूहों की संख्या को कुछ समय के लिए कम कर सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक समाधान नहीं दे पा रहे हैं. प्रशासन को इस दिशा में दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी ताकि समस्या बार-बार न उठे.