Jaipur, Jal Jeevan Mission in rajasthan News: गणपति और श्री श्याम फर्म के 900 करोड़ के टैंडर घोटाले में देरी हुई. जिसके बाद अब दूसरी फर्मों के शिकायतों की जांच में PHED देरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. फर्मों के फर्जी रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र की कंपलेन के एक महीने बाद में जांच ठंडे बस्ते में है. जिम्मेदारों ने जांच रिपोर्ट अब तक नहीं सौंपी, ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों जिम्मेदार अफसर फर्जीवाड़े की शिकायतों पर जांच दबाकर बैठे है. 


क्या जांच ठंडे बस्ते में बंद?


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पीएचईडी में फर्जी रजिस्ट्रेशन और फर्जी प्रमाण की जांच ठंडे बस्ते में दब गई है.जिस तरीके से जलदाय विभाग के जिम्मेदारों ने गणपति और श्री श्याम फर्म की फर्जी प्रमाण पत्र की जांच में देरी की,ठीक उसी तरह से तीन फर्मों की गंभीर शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है.



इन फर्मों की जांच, आखिर कब आएगी रिपोर्ट



1.BSR फर्म के फर्जी रजिस्ट्रेशन की कंप्लेन-


डबल ए क्लास BSR फर्म के खिलाफ ACS सुबोध अग्रवाल से फर्जी रजिस्ट्रेशन की शिकायत थी.जिसमें प्राइवेट कंपनी साउथ वेस्ट पीनाकल के अनुभव पत्र से फर्जी पत्र लेने का जिक्र किया.नियमों के तहत सरकारी विभाग से काम का अनुभव जरूरी है. पीएचईडी में कंस्ट्रक्शन के साथ कमीश्निंग की एक्सपीरियंस आवश्यक है.लेकिन सब-कॉन्ट्रेक्टर के रूप में लिए गए अनुभव प्रमाण पत्र में भी हेराफेरी की.


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इस मामले की जांच चीफ इंजीनियर ग्रामीण आरके मीणा कर रहे है,लेकिन अब तक जांच नहीं हुई.लोक निर्माण वित्तीय लेखा नियम के परिशिष्ठ 16 के नियम 1''8 के तहत फर्मों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है.यदि दस्तावेज पूरे नहीं है और कार्य अनुभव,टर्नओवर में कोई गंभीर खामी है तो उन्हें रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता.



2.बजरंगबली के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की शिकायत



बाड़मेर में रेतीली जमीन पर 400 ट्यूबवेल खोदने के लिए 31.28 करोड़ काम देने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें फर्म बजरंगबली कॉन्ट्रैक्ट की शिकायत हुई है.टैंडर में एक वित्तीय वर्ष में फर्म को 10.42 करोड़ के रेतीली धरातल में रोटरी मशीन से ट्यूबवेल खोदने का अनुभव जरूरी था. लेकिन बजरंगबली फर्म पर आरोप है कि टैंडर में जो अनुभव प्रमाण पत्र लगाए है वो कॉम्बिनेशन स्ट्रेटा के साथ साथ रेतीले धरातल के भी है. पीएचईडी के उपसचिव गोपाल सिंह जांच कर रहे है, उनका कहना है कि जल्द ही जांच रिपोर्ट आ जाएगी.



3.मैसर्स मांगीलाल विश्नोई की अवैध रिंग मशीनों की शिकायत



मैसर्स मांगीलाल विश्नोई के खिलाफ शिकायत थी कि कुछ रिंग मशीनों का 2014 में ही रजिस्ट्रेशन वैधता समाप्त हो गई.10 साल से ट्यूबवेल खोदने का काम चल रहा है.शिकायत के एक महीने बाद भी अब तक जांच पूरी नहीं हुई. जल जीवन मिशन चीफ इंजीनियर आरके मीणा ने जांच रिपोर्ट ही नहीं सौंपी. जिसको लेकर आरके मीणा को नोटिस भी दिया गया है.


क्या राजनीतिक दबाव तो नहीं?


अब ऐसे में सवाल ये उठ रहे है कि क्या राजनीतिक दबाव के चलते तो फर्जीवाड़े की जांच रुक तो नहीं गई? क्या पीएचईडी में इन फर्मों की जांच पूरी निष्पक्षता से हो पाएगी?