Jaipur : जवाहर कला केंद्र में ''ताजमहल का टेंडर'' नाटक का मंचन किया गया. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर, दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा और जेकेके के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. नाटक में उपजी हास्यास्पद परिस्तिथियों के साथ ही भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और सरकारी तंत्र की कमियों को रंगकर्मियों ने बखूबी जाहिर किया. 


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नौकरशाही का स्याह चेहरा सामने आया. अजय शुक्ला द्वारा रचित नाटक का मंचन चितरंजन त्रिपाठी के निर्देशन में किया गया. नाटक में दर्शाया गया कि मुगल बादशाह शाहजहाँ इतिहास से निकलकर अचानक बीसवीं सदी की दिल्ली में गद्दीनशीन हो जाते हैं. 


भ्रष्टाचार और सरकारी तंत्र की कमियों को किया जाहिर 


उनके मन में अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाने की इच्छा होती है जिसे वे सीपीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर गुप्ता जी के सामने रखते हैं. इसके बाद सामने आता है नौकरशाही का भ्रष्ट, उदासीन और काम टालने वाला रवैया. चालाक और भ्रष्ट अफसर गुप्ता शाहजहाँ को अपनी कोरे वायदों की भूलभुलैया में ऐसा घुमाता है कि ताजमहल की बात तो छोड़ ही दें, उसके टेंडर को निकलने में ही पूरे 25 साल गुजर जाते हैं.


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इसी बीच बादशाह दुनिया को अलविदा कह जाते हैं और उनकी तमन्ना अधूरी रह जाती है. नाटक आज के तंत्र पर सटीक व्यंग्य है.


Reporter : Anup Sharma 


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