Jaipur: राज्य सरकार ने प्रदेश में जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के लिए पहचान पोर्टल अब जनता के बीच धीरे-धीरे अपनी 'पहचान' बना रहा है लेकिन प्रदेश में अब भी जन्म-मृत्यु का शत-प्रतिशत रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में जन्म-मृत्यु पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के लिए विभिन्न विभागों का सहयोग लेने की योजना बनाई गई है. इसके लिए समन्वय कमेटी बनाई गई है, लेकिन प्रभावी काम नहीं हो पा रहा है.


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राजस्थान में जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 और राजस्थान जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम 2000 के तहत जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. आम लोगों की सुविधा और नियमित डेटा संकलन को देखते हुए राज्य सरकार ने 26 अगस्त 2013 से जन्म-मृत्यु पंजीकरण का काम ऑनलाइन वेबपोर्टल 'पहचान' पर शुरू किया. वर्तमान में कम्प्यूट्रीकृत और ई-साईन युक्त जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र दिए जा रहे है. इसी तरह राजस्थान विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 2000 के तहत 21 मार्च 2016 से विवाहों का पंजीकरण ऑनलाइन 'पहचान' पोर्टल पर किया जा रहा है.


इतने अफसर-कर्मचारी जुटे हैं रजिस्ट्रेशन में
वर्तमान में 'पहचान' पोर्टल से 11,551 में से 11298 ग्रामीण और 253 शहरी रजिस्ट्रार और 3,172 उप रजिस्ट्रार जन्म मृत्यु और विवाह का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर रहे है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में करीब 1,744 निजी चिकित्सालयों को पहचान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की सुविधा है. राज्य के लगभग 85,000 ई-मित्र केन्द्रों के जरिए भी जन्म मृत्यु और विवाह का पंजीकरण किया जा रहा है.


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एसएमएस से सूचना, ऑनलाइन प्रमाण पत्र
जन्म, मृत्यु और विवाह के ऑनलाइन आवेदन करने के बाद आवेदन की वर्तमान स्थिति और पंजीकरण से सम्बन्धित सूचना आवेदक को SMS से दी जा रही है. रजिस्ट्रेशन के बाद डिजिटल, ई-साइन युक्त प्रमाण पत्र ई-मेल भेजे जा रहे है. डिजिटल, ई-साइन युक्त प्रमाण पत्र को मोबाईल पर ओ.टी.पी. के जरिए आवेदक डाउनलोड कर सकते है. पहचान पोर्टल के माध्यम से अब जन्म प्रमाण पत्र से बच्चे का नाम जोडने का कार्य ऑनलाइन वेबपोर्टल 'पहचान' पर शुरू हो गया है.


अस्पतालों में भी सुविधा 
पहचान पोर्टल के माध्यम से राज्य में 3172 राजकीय चिकित्सालय, सीएचसी, पीएचसी और 1744 निजी चिकित्सालयों पर मृत्यु प्रमाण पत्र की सुविधा है.


सुझाव दे रही समिति, मॉनिटरिंग का अभाव
जन्म-मृत्यु पंजीयन की देखरेख करने और समय-समय पर सुझाव देने के लिए अर्न्तविभागीय समिति गठित की गई है. इस समिति का मुख्य उद्देश्य जन्म और मृत्यु पंजीयन अधिनियम की क्रियान्विति की समय-समय पर समीक्षा करना और सम्बन्धित विभागों में प्रभावी समन्वय स्थापित कर कमियों और असंगतियों को दूर करते हुए उपाय सुझाना है. हाल ही 23 अगस्त 2022 को इस कमेटी की बैठक हुई, जिसमें कई सुझाव दिए गए.


- टीकाकरण के दौरान जन्म प्रमाण पत्र को आवश्यक करने के लिए निर्देश जारी करना.
- आशा सहयोगिनी, एएनएम घर पर होने वाली शिशु मृत्यु, मृत्यु और मृत जन्म की घटनाओं को रजिस्ट्रीकृत कराने के निर्देश दें.
- चिकित्सा विभाग में प्रेस्क्रिप्शन स्लिप, टीकाकरण कार्ड, पोस्टर और स्टीकर पर जन्म मृत्यु रजिस्ट्रेशन के स्लोगन लिखवाया जाना जरूरी किया जाए.
- सरकारी और निजी विद्यालयों में प्रवेश पर जन्म प्रमाण पत्र को आवश्यक दस्तावेज के रूप में लेने के लिए पाबंद करना, यदि प्रवेश के समय प्रमाण पत्र नहीं हो तो 1 महिने में पेश करने का अभिभावक से शपथ पत्र लेना जरूरी किया जाए.
- नगर निकाय रजिस्ट्रारों को जन्म-मृत्यु की घटनाओं का समय पर पंजीयन करने के लिए पाबंद किया जाए.
- नगर निकायों की सभी स्तरों पर होने वाली बैठकों में जन्म-मृत्यु पंजीयन को स्थाई एजेंड़ा में शामिल किया गया, लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं हो रही.
- आगनबाडी कार्यकर्ताओं को घर पर होने वाली जन्म-मृत्यु की घटनाओं, मातृ मृत्यु शिशु मृत्यु और मृत जन्म की घटनाओं को रजिस्ट्रीकृत कराने के लिए निर्देश दिए जाएं.
- पंचायती राज संस्थाओं पर होने वाली बैठकों में जन्म-मृत्यु पंजीयन को स्थायी एजेंड़ा में शामिल कर इसकी नियमित मॉनिटरिंग की जाए.
- जनगणनानिदेशालय पर 100 प्रतिशत जन्म-मृत्यु पंजीयन के प्रचार प्रसार और ट्रेनिंग के लिए 75 लाख रुपये, डॉक्टरों के प्रशिक्षण के लिए 25 लाख का बजट आवंटित करवाने की जिम्मेदारी. जन्म मृत्यु पंजीयन के डेटा बेस हेतु दो सर्वर और SAN, RGI कार्यालय के माध्यम से उपलब्ध करवाना है.


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