Jaipur: नौ दिनों तक चलने वाला शक्ति की आराधना के पर्व की शुरूआत गुरूवार से हो चुकी हैं. शारदीय नवरात्रि  (Navaratri) में देश का कोना-कोना भक्त‍िमय हो चला है. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है. देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों और सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. माता ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini) की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है. ऐसा भक्त इसलिए करते हैं ताकि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. नवरात्र के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी. 


यह भी पढ़ें- अब 4G पर दौड़ेगी भारतीय ट्रेनें, जाने कैसे होगी आपकी यात्रा बेहद सुरक्षित!


ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है. यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं. मुख पर कठोर तपस्या के कारण तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोकों को उजागर कर रहा है. यह स्वरूप श्वेत वस्त्र पहने दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल लिए हुए सुशोभित है. ब्रह्मचारिणी देवी के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा. 


यह भी पढ़ें- CM Gehlot के बयान का इशारों में सचिन पायलट ने दिया जवाब, कहा- 50 साल तक यहीं रहूंगा


बताया जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर पार्वती स्वरूप में थीं. इन्होंने भगवान शंकर (Lord Shankar) को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोप तपस्या की थी. वह भगवान शिव को पाने के लिए 1000 साल तक सिर्फ फल खाकर रहीं और 3000 साल तक शिव की तपस्या सिर्फ पेड़ों से गिरी पत्तियां खाकर की. कड़ी तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया.