भारतीय रेलवे फिलहाल 2G स्पेक्ट्रम पर ही काम करती है.
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Jaipur: भारत की ट्रेनें भी अब 4जी पर दौड़ेंगी. इससे रेल यात्रा सुरक्षित होगी और ट्रेन दुर्घटनाएं भी रुक जाएंगी. रेलवे के कम्युनिकेशन और सिग्नलिंग सिस्टम (Communication and Signaling Systems) में सुधार के लिए 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी के बाद स्पेक्ट्रम से रेल यात्रा सुरक्षित हो जाएगी.
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भारतीय रेलवे फिलहाल 2G स्पेक्ट्रम पर ही काम करती है. कई बार इसके सिग्नलिंग और कम्युनिकेशन में परेशानी होती है. स्पेक्ट्रम बढ़ने से यह समस्या दूर होगी और केंद्र सरकार से मिली 5G स्पेक्ट्रम को मंजूरी के बाद रेलवे के 4जी और 5जी दोनों ही नेटवर्क डवलप हो सकते हैं लेकिन भारतीय रेल फिलहाल 4G पर ही काम करेंगे.
वर्तमान में कम्युनिकेशन नेटवर्क के लिए ऑप्टिकल फाइबर पर निर्भर रेलवे स्पेक्ट्रम के आवंटित होने के बाद वह तेज रफ्तार वाले रेडियो का उपयोग कर सकेगा. इस स्पेक्ट्रम के साथ भारतीय रेलवे अपने रूट पर लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन प्रदान कर सकेगा.
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LTE के जरिए सिक्योर और विश्वसनीय आवाज, वीडियो और डेटा कम्युनिकेशन सर्विस सेवाएं मिलती है. इसका मॉडर्न सिग्नलिंग और ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों में इस्तेमाल से लोको पायलटों और गार्डों के बीच बेहतर कम्युनिकेशन सुनिश्चित होगा. इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित रिमोट एसेट मॉनिटरिंग से कोच, वैगन और लोको की निगरानी और ट्रेन के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरों की लाइव वीडियो फीड से परफेक्ट, सेफ और फास्ट ट्रेन संचालन हो सकेगा.
भारतीय रेलवे ने स्वदेश में विकसित स्वचालित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (Automatic Train Collision Avoidance System) को TCAS नाम दिया है, जो ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत बन रहा है. रेलवे के संचार और सिग्नलिंग नेटवर्क दोनों बेहतर होने से दो ट्रेनों के बीच होने वाली टक्कर को रोकने की प्रणाली बेहतर काम करेगी. भारतीय रेल को स्टेशनों और ट्रेनों में सुरक्षा के इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है और पूरे पांच साल में यह परियोजना पूरी होगी.