Right to Health Bill: राजस्थान में राइट टू हैल्थ बिल के खिलाफ डॉक्टर्स का विरोध जारी है. इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने डॉक्टरों को अड़ियल रुख छोड़ने की नसीहत दी है. डोटासरा ने कहा की बातचीत से किसी भी मुद्दे का संधान संभव है और अगर डॉक्टर्स चाहें तो वे इस मुद्दे पर सरकार से वार्ता कराने की खातिर मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं. राइट टू हैल्थ समय की मांग है और आम आदमी को यह अधिकार मिलना चाहिए. जब राइट टू फूड, राइट टू एजुकेशन, राइट टू वर्क भी मनरेगा के रूप में आ चुका है तो राइट टू हैल्थ और सोशल सिक्योरिटी के लिए मुख्यमंत्री कह रहे हैं. 


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पीसीसी चीफ का बयान


डोटासरा बोले इसी नियम को लेकर राइट टू हैल्थ हम लेकर आए हैं. अगर डॉक्टरों को किसी बात से असहमति है, तो बैठ कर बात की जा सकती है. सरकार उनकी बात  सुनने को तैयार है, लेकिन डॉक्टर 5 मिनट जाते हैं और अपनी बात कहकर वापस आ जाते हैं, यह रवैया ठीक नहीं है. आपको अपनी पूरी बात कहनी चाहिए. डोटासरा बोले कि आमजन को राइट टू हैल्थ मिले, वह स्वस्थ रहें इसमें इनको भी सहयोग करना चाहिए. अगर किसी तरीके की ग्रीवेंस है, तो डॉक्टरों को बातचीत करनी चाहिए, किसी तरह के पूर्वाग्रह से न देखें.


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सरकार चाहती है कि डॉक्टर अपनी समस्या बताएं, क्योंकि यह कानून आम जनता के लिए है. हालांकि डोटासरा ने यह भी कहा कि फीडबैक यही आ रहा है कि कुछ लोगों ने इसे हाईजैक कर लिया है, इस कानून को समझने के लिए तैयार नहीं है, डॉक्टर्स को लगता है कि जब नियम बनेंगे तो पता नहीं क्या बनेंगे? पीसीसी चीफ बोले कि, मैं मुख्यमंत्री से भी आग्रह करूंगा और स्वास्थ्य मंत्री से भी आग्रह करूंगा कि इनके नियमों को लेकर जो भ्रांतियां हैं उसको बैठकर दूर किया जाए. जो भी सुझाव आता है उसे लेने में कोई दिक्कत नहीं है. मेरे पास अगर डॉक्टर आते हैं तो मैं बैठाकर बात करने को तैयार हूं. डोटासरा ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान बैठकर ही होगा चर्चा से ही रास्ता निकलेगा.


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डोटासरा बोले कि डॉक्टर भगवान नहीं लेकिन भगवान का रूप माने जाते हैं. ऐसे में अगर किसी मरीज की जान चली जाती है, इलाज के अभाव में तो यह हमारे लिए नहीं बल्कि इनके लिए भी दुखदाई और पीड़ा रही है. डोटासरा बोले कि सरकार डॉक्टरों के साथ चर्चा करके उस समस्या का समाधान करेगी, कोई दिक्कत नहीं है अगर वह मुख्यमंत्री से बात करना चाहते हैं तो मुख्यमंत्री भी बात कर लेंगे. लेकिन वे अगर चाहें कि सीएम के सामने भी सिर्फ बिल वापस लेने की बात ही करेंगे, जैसा उन्होंने चीफ सेक्रेट्री और हैल्थ सेक्रेट्री के साथ किया, तो वह अप्रोच नहीं होनी चाहिए. डोटासरा बोले कि अगर यह अप्रोच है तो सीएम हों या पीएम हों, किसी बातचीत का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा.


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