Magical story of Salasar Balaji : राजस्थान के सालासर बालाजी धाम में दूर दूर से भक्त पहुंचते हैं और कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटते. पूरे दुनिया में बस यहीं पर हनुमान जी की दाड़ी मूंछ है. पूरी श्रद्धा के साथ चूरमे के भोग लगने पर सालासर बालाजी भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं.
सालासर बालाजी धाम को एक कहानी है कि हनुमानजी के एक भक्त मोहनदास ने काफी भक्ति और तपस्या की थी. जिससे प्रसन्न होकर हनुमानजी ने मोहनदास को दाढ़ी मूंछ में दर्शन दिये और मोहनदास जी ने बालाजी से इसी रूप में प्रकट होने का वचन मांग लिया. और चूरमें का भोग लगाया गया.
वचन को पूरा करते हुए सालासर बालाजी एक जाट के खेत में प्रकट हो गये. जब जाट खेत में हल चला रहा था तभी उसका हल एक पत्थर से टकराया और उसने पत्थर को साफ करके देखा तो उसमें बालाजी दिखें,जिनको स्थापित कर दिया गया.
बालाजी के भक्त मोहनदास ने 300 वर्ष पूर्व धूणी जलाई थी जो आज भी जल रही हैं. ये धूणी अखंड ज्योत के रूप में जल रही है. सालासर बालाजी धाम पर चैत्र माह की पूर्णिमा और आश्विन माह की पूर्णिमा को मेला लगता. जिसमें लाखों श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं.
सालासर बालाजी धाम पर बालाजी को चूरमे का भोग लगता हैं. बताया जाता हैं कि जिस जाट के खेत में बालाजी की प्रतिमा निकली थी. उसकी मन्नत पूरी होने पर बालाजी को चूरमे का भोग लगाया था, तभी से ये परंपरा चली आ रही है.
देश भर में दाढ़ी मूंछ वाले हनुमानजी के नाम प्रसिद्ध सालासर बालाजी में हर साल लाखों भक्त पहुंचते हैं और मनोकामना करते हैं. राजस्थान के चूरू के सीकर नगर के पास ही सालासर बालाजी का काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर हैं.
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