Jaipur: कुंडली में मौजूद ग्रह-नक्षत्र कई बार मनुष्य को चिंता में भी डाल देते हैं. वहीं नवग्रहों का जातक के जीवन पर अनुकूल प्रभाव भी देखने को मिलता है. कुंडली में मौजूद मंगल दोष के बारे में सुनकर अक्सर लोगों के मन में नकारात्मक विचार और डर बैठ जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति के लिए मंगल दोष खराब हो यह जरूरी नहीं है. कुछ लोगों को मंगल की दशा फायदा भी पहुंचाती है.
लाल चंदन, लाल पुष्प, बेल की छाल, जटामांसी, मूसली, खिरेटी, गोदंती, मालकांगुनी, जो सामग्री उपलब्ध हो, उन्हें जल से स्नान करने से मंगल के अनिष्ट शांत हो जाते हैं.
लाल रंग के वस्त्र या पुष्प या अन्य सामग्री, मसूर, गुड़, लाल चंदन, घी, केशर, गेहूं, मिठाई या मीठे पदार्थ, पताशे, रेवड़ी दान करने से मंगल के शुभ फलों में वृद्धि होती है.
कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ, वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमानजी के प्रतिदिन दर्शन, लक्ष्मी स्तोत्र, गणपति स्तोत्र, महागायत्री उपासना, जो भी संभव हो, वो उपाय करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं.
मंगल के मंत्र, हनुमानजी के मंत्रों का जाप, 11, 21, 28, 43 मंगलवार के व्रत या विनायकी व्रत करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं.
सोने की अंगूठी में मूंगा (लगभग 6 रत्ती) धारण करना चाहिए. मूंगे के अभाव में तांबा, संगमूशी या नागजिह्वा, गो जिह्वा जड़ी को धारण करना चाहिए. अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करें. मूंगे के अलावा जो भी धातु या उपरत्न या जड़ी धारण करें. प्रति तीन वर्ष बाद परिवर्तित करते रहें. मंगल संबंधी उपरत्नों का प्रभाव प्रति 3 वर्ष में समाप्त हो जाता है.
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