Jaipur News: मोदी सरकार के बाद अब राजस्थान की भजनलाल सरकार ने एक बड़ा फैसला ले लिया है. राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने का प्रतिबंध हटा लिया है. राज्य के कार्मिक विभाग ने आज आदेश जारी कर 18 मार्च 1981 के परिपत्र को वापस ले लिया है. परिपत्र से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उल्लेख हटाने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही अब सरकारी कर्मचारी बेरोकटोक संघ के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे. 


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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल


विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन में शुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 99 वर्ष का होने जा रहा है. अगले साल विजयदशमी पर संघ की स्थापना को सौ साल हो जाएंगे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आजादी के बाद से ही कई बार प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन फिर हटा भी लिया गया.  संघ पर पहला प्रतिबंध 1948 में लगा था. इसके बाद 1968 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी.  राज्य में भी कार्मिक विभग ने 21 अप्रेल 1972, 1976 तथा 18 मार्च 1981 को सर्कुलर जारी कर कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर रोक लगा दी गई थी.


केंद्र ने हटाया प्रतिबंध


इधर 56 वर्ष बाद केंद्र की मोदी सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा लिया और अब कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में शामिल होने की छूट दे दी है. केंद्र के बाद आज राजस्थान सरकार ने भी कर्मचारियों पर लगी पाबंदी के आदेश को हटा लिया है. केंद्र के प्रतिबंध हटाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है. राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है.


बीजेपी नेताओं ने दी प्रतिक्रियाएं


वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि संघ राष्ट्रवादी और सकारात्मक सोच तथा देश के हित में सोचने, देश को सर्वोपरि मानने वाली संस्था है.  ऐसी संस्थाओं को तो मजबूत किया जाना चाहिए उसकी बजाय कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हित को देखते हुए संघ को हमेशा कमजोर करने का प्रयास किया, लेकिन उसके बाद भी संघ कभी कमजोर नहीं हुआ निरंतर आगे बढ़ता गया.  वहीं  प्रतिपक्ष टीकाराम जूली कह चुके हैं कि बीजेपी का कर्मचारियों का पार्टी से जोड़ने का प्रयास लेकिन सार्थक नहीं होंगे.  उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को सलाह दी कि उन्हें संघ से दूर रहना चाहिए.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है...


- आज देशभर में 60 हजार से अधिक शाखाएं और उनसे जुड़े एक करोड़ से ज्यादा स्वयंसेवक हैं.
- आरएसएस के मेंबर्स का न तो रजिस्ट्रेशन होता है और न ही इन्हें कोई आईडी कार्ड या बिजनेस कार्ड दिया जाता है.


- देश का हर नागरिक कभी भी इसमें आ सकता है और कभी भी इससे अलग हो सकता है.
- इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है। संघ की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग शामिल हुए थे.


- इसकी स्थापना की प्रेरणा केशवराव को प्रथम विश्व युद्ध में बनी यूरोपियन राइट-विंग से मिली थी.
- देश भर में आरएसएस के हजारों स्कूल, चैरिटी संस्थाएं और विचारों के प्रसार के लिए क्लब हैं.


संघ की शाखा


- संघ के ज्यादातर क्रियाकलाप शाखाओं में संचालित होते हैं. यहां सभी स्वयंसेवक जमा होते हैं और अलग-अलग गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं.
- शाखा किसी भी स्थान पर आयोजित की जा सकती है.


- शाखा का आयोजन ''शाखा प्रमुख'' की देख-रेख में होता है. शाखा में सभी स्वयंसेवक संघ की आधिकारिक पोशाक पहनकर ही आते हैं.


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