Rajasthan News: जन्मदिन के दिन पूर्व मंत्री महेश जोशी को झटका, इस मामले में हो सकता है मुकदमा दर्ज
Former Minister Mahesh Joshi: जल जीवन मिशन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी, एसीएस सुबोध अग्रवाल और विभाग के कई अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध पाया है. एसीबी ने उनके खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने की सिफारिश की है, जो जल्द ही दर्ज हो सकती है.
Rajasthan News: जल जीवन मिशन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी, एसीएस सुबोध अग्रवाल और विभाग के कई अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध पाया है. एसीबी ने उनके खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने की सिफारिश की है, जो जल्द ही दर्ज हो सकती है. यह मामला जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से संबंधित है.
जल जीवन मिशन में कथित भ्रष्टाचार के मामले में एक नया मामला सामने आया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी, एसीएस सुबोध अग्रवाल और विभाग के अन्य अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध पाया है. एसीबी ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है. यह मामला तत्कालीन सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है.
राज्यपाल ने पूर्व मंत्री महेश जोशी के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति दे दी है. साथ ही, पीएचईडी विभाग ने सात अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देते हुए फाइल सरकार को भेज दी है. वहीं, एसीएस सुबोध अग्रवाल और कुछ अन्य अधिकारियों के मामले डीओपी और पीएचईडी विभाग के पास लंबित हैं. यह कार्रवाई जल जीवन मिशन घोटाले में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के संबंध में की जा रही है.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जल जीवन मिशन में करोड़ों के भुगतान में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर एक प्राथमिकी जांच रिपोर्ट दर्ज की थी. जांच में पाया गया कि ठेकेदार पदम चंद जैन और महेश मित्तल की फर्म ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पेश कर ठेके हासिल किए थे. विभाग को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की जानकारी मिल गई थी, लेकिन इसके बावजूद ठेके दिए गए. यह मामला जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों से जुड़ा हुआ है.
जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के मामले में नई जानकारी सामने आई है. शिकायतें परिवाद और ई-मेल के जरिए विभाग को मिली थीं, जिनमें फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के उपयोग का आरोप लगाया गया था. विभाग को सूचित किया गया था कि प्रस्तुत प्रमाण पत्र फर्जी हैं, लेकिन इसके बावजूद समय पर जांच नहीं की गई और करोड़ों के भुगतान कर दिए गए. मामले की जांच रिपोर्ट भी संदेहास्पद पाई गई है. अब कार्मिक विभाग ने टिप्पणी मांगी है और एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी के लिए फाइल सरकार को भेजी गई है. पीएचईडी विभाग ने पांच अधिकारियों के नाम पर मनाही कर दी है और सात अधिकारियों के खिलाफ अनुमति दे दी है.
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