Rajasthan News: राजस्थान में वन पर्यावरण के संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार के पहले पूर्ण बजट में काफी प्राथमिकता दी गई है. एक तरफ जहां प्रदेश में मिशन हरियालो राजस्थान की घोषणा की गई है. वहीं अगले साल से ग्रीन बजट लाए जाने की घोषणा की गई है. हालांकि यह खुलासा नहीं किया गया है कि ग्रीन बजट में क्या होगा, लेकिन माना जा रहा है कि ग्रीन बजट में वन पर्यावरण के साथ कृषि क्षेत्र को मिलाकर अलग से बजट लाया जा सकता है. 


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बजट में अगले 4 वर्ष में वन क्षेत्र में 20 हजार हेक्टेयर की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है. इसी तरह इस साल 7 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे. वहीं आगामी वर्षों में प्रदेश में हर साल 10 करोड़ पौधे तैयार किए जाएंगे. इसके लिए 50 नई नर्सरियां स्थापित की जाएंगी. वहीं पहले से चल रही 540 से अधिक नर्सरियों में सुधार कार्य किए जाएंगे. मिशन हरियालो राजस्थान के तहत अगले 5 वर्ष में 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. 


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निजी क्षेत्र में स्थापित और पंचायतों के अधीन वाली नर्सरियों को भी अनुदान दिया जाएगा. प्रत्येक जिले में मातृ वन स्थापित होंगे. जहां प्रत्येक जिले में विशेष प्रजाति के पौधे तैयार किए जाएंगे. पौधों की समुचित देखभाल के लिए 2000 वन मित्र लगाए जाएंगे. इच्छुक रिटायर्ड कर्मचारियों को गार्जियन के रूप में जिम्मेदारी दी जाएगी. 


 



मनरेगा के तहत पर्यावरण संरक्षण, चारागाह विकास में वृक्षारोपण के लिए 1650 करोड़ जयपुर, बीकानेर, भीलवाड़ा, भरतपुर, सीकर, उदयपुर में 175 करोड़ से पौधारोपण, पार्क विकास कार्य होंगे. झालाना, जयपुर में 40 करोड़ से फॉरेस्ट एंड वाइल्डलाइफ ट्रेनिंग कम मैनेजमेंट इंस्टीट्यूटी बनेगा. 5 बाघ परियोजनाओं में 20 करोड़ से एंटी पोचिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होगा. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर के निकट चिड़ियाघर और एक्वेरियम स्थापित किए जाएंगे. 


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नाहरगढ़ जैविक उद्यान, जयपुर में वॉक इन एवियरी 20 करोड़ लागत से बनेगी. गोडावण संरक्षण के लिए DNP जैसलमेर में नए एन्क्लोजर्स बनेंगे, फेंसिंग की जाएंगी. अलवर में 25 करोड़ लागत से बायोलॉजिकल पार्क बनाया जाएगा. गांधीसागर सेंचुरी, भैंसरोडगढ़ सेंचुरी चित्तौड़गढ़ एवं चंबल सेंचुरी को कुनो नेशनल पार्क से जोड़ा जाएगा. यहां चीते के विचरण के लिए कॉरिडोर बनाने को लेकर मध्यप्रदेश के साथ एमओयू किया जाएगा. 


 



प्लास्टिक से वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर संरक्षित वन क्षेत्रों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन होगा. विभिन्न पर्यटन स्थलों पर 50 प्लास्टिक बोटल फ्लेकिंग, रिजर्व वेंडिंग मशीन लगाई जाएंगी. सरिस्का, रणथंभौर, चंबल अभयारण्य कोटा में इको सेंसिटिव जोन बनेंगे. 15 करोड़ लागत से 50 प्रतिशत सब्सिडी पर 10 हजार सोलर/इलेक्ट्रिक कुकिंग सिस्टम बांटे जाएंगे. अलवर और भिवाड़ी में अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किए जाएंगे.


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