Rajasthan News: नगर निगम ग्रेटर एक शताब्दी पुराना रिकॉर्ड होगा ऑनलाइन, उर्दू से हिंदी में करवाया जा रहा कन्वर्ट
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Rajasthan News: नगर निगम ग्रेटर एक शताब्दी पुराना रिकॉर्ड होगा ऑनलाइन, उर्दू से हिंदी में करवाया जा रहा कन्वर्ट

Rajasthan News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर में अब जयपुर में आजादी से पहले जन्मे व्यक्तियों और उस दौरान हुई डेथ का रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जाएगा. इसके लिए नगर निगम ग्रेटर की जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा ने निगम से 1952 से पहले का रिकॉर्ड ढूंढवाकर उनका संधारण शुरू करवाना शुरू कर दिया है.

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Rajasthan News: राजस्थान के जयपुर नगर निगम ग्रेटर में अब जयपुर में आजादी से पहले जन्मे व्यक्तियों और उस दौरान हुई डेथ का रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जाएगा. इसके लिए नगर निगम ग्रेटर की जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा ने निगम से 1952 से पहले का रिकॉर्ड ढूंढवाकर उनका संधारण शुरू करवाना शुरू कर दिया है. निगम अधिकारियों की माने तो ये रिकॉर्ड एक शताब्दी से भी पुराना यानी 1920 तक का रिकॉर्ड मिल चुका है. 

 

नगर निगम ग्रेटर में जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार प्रदीप पारीक ने बताया कि 1952 से जो पुराना रिकॉर्ड है, वह रियासत कालीन है और उसमें अधिकांश उर्दू भाषा में लिखे हुए हैं. उर्दू का रिकार्ड पुराना होने की वजह से काफी खस्ताहाल भी हो चुका है. जिसमें से लोगों का रिकार्ड ढूंढने में काफी दिक्कत आती है. उर्दू में लिखे रिकॉर्ड को किसी भाषा विशेषज्ञ से कन्वर्ट करवाकर उसे सरकारी पोर्टल 'पहचान' पर अपलोड करवाया जाएगा. 

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रजिस्ट्रार ने बताया कि सरकार का उदेश्य आमजन को जन्म-मृत्यु के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के लिए नगर निगम के चक्कर न लगाना पड़े इसके लिए ये रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने बताया कि अभी तक हमने साल 2011 से अब तक का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन चढ़ा दिया और कोई भी व्यक्ति इस साल का रिकॉर्ड पहचान पोर्टल से घर बैठे देखकर उससे संबंधित रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकता है. उसे नगर निगम आने की कोई जरूरत नहीं है.

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नगर निगम जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार प्रदीप पारीक ने बताया कि 2011 से 2024 यानि आज की डेट तक जन्म-मृत्यु का रिकॉर्ड पहचान पोर्टल पर ऑनलाइन है. अब हमने रिवर्स ईयर में रिकॉर्ड यानी डेटा ऑनलाइन कर रहे हैं. अभी 2010 और साल 2009 का डेटा ऑनलाइन चढ़ाया जा रहा है. इसके बाद 2008, 2007 और 2006 का डेटा ऑनलाइन किया जाएगा. 

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इस तरह एक-एक साल का डेटा रिर्वस में किया जाएगा. क्योंकि सबसे ज्यादा जरूरत 1952 तक के डेटा की रहेगी. लेकिन हम फिर भी 1952 तक का डेटा ऑनलाइन होने के बाद उसके पीछे के सालों का डेटा भी ऑनलाइन करेंगे. उन्होंने बताया कि नगर निगम में जो साल 1952 से पुराना सालों का रिकॉर्ड मिला है, उसमें कई दिलचस्प बातें देखने को मिली है. 

मृत्यु के रिकॉर्ड में जो जानकारियां इंद्राज की गई है. उसमें व्यक्ति के नाम के साथ-साथ उसकी जाति, धर्म, मृत्यु का कारण बीमारी या सामान्य अगर बीमारी से हुआ तो कौन-सी बीमारी आदि की जानकारी उल्लेखित की गई. उन्होंने बताया कि ये रिकॉर्ड इतना व्यवस्थित है कि उस रिकॉर्ड को जनगणना में भी उपयोग लिया जा सकता था. इतने पुराने रिकॉर्ड को संभाल कर रखना चुनौती से कम नहीं है. 

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खासकर पुराने दस्तावेजों को संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन यदि इसे ऑनलाइन कर दिया जाए तो इस झंझट से छुटकारा मिल जाएगा. बहरहाल आज देश में हर जगह हिंदी अंग्रेजी भाषाओं में सरकारी कामकाज किया जाता है, लेकिन जन्म-मृत्यु पंजीकरण का आजादी से पहले का कुछ रिकॉर्ड आज भी उर्दू भाषा में ही है. हालांकि निगम प्रशासन धीरे-धीरे पुराने रिकॉर्ड को पहचान पोर्टल पर ऑनलाइन करने का काम कर रहा है. जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से लोगों की टेंशन के साथ ही कर्मचारियों की सिरदर्दी भी समाप्त हो जाएगी.

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