सनातन धर्म के माध्यम से ही विश्व को मिल सकती है सही दिशा—शंकराचार्य
Rajasthan News:आयोजन के दौरान मानसरोवर परमहंस मार्ग स्थित राम गोपेश्वर महादेव मंदिर से 3100 महिलाओं की अगुवाई में भव्य कलश यात्रा लवाजमे के साथ निकाली गई.ऐसा ही नजारा देखने को मिला शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के 82 वां प्राकटयोत्सव महोत्सव के मौके पर.
Rajasthan News:बारिश की बूंदों के बीच गाजे-बाजे के साथ मंगल गान गाकर कदम से कदम मिलाकर महिलाओं का कारवां और बैंड बाजों की मधुर स्वरलहरियां. पुष्पवर्षा करते भक्त. ऐसा ही नजारा देखने को मिला शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के 82 वां प्राकटयोत्सव महोत्सव के मौके पर.
राष्ट्रोत्कर्ष दिवस के रूप में मनाए गए. आयोजन के दौरान मानसरोवर परमहंस मार्ग स्थित राम गोपेश्वर महादेव मंदिर से 3100 महिलाओं की अगुवाई में भव्य कलश यात्रा लवाजमे के साथ निकाली गई. इस दौरान यात्रा में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, गोविंद देव जी, गो माता की झांकी, भगवान जगन्नाथ जी के साथ बलराम जी और सुभद्रा जी का रथ खास रहा.जगन्नाथ जी के रथ को रस्से के जरिए भक्तों ने पुरी जगन्नाथ की तरह खींचा गया. एक किमी. की यात्रा मानसरोवर वीटी रोड स्थित मैदान तक निकली.
इस दौरान पूरा डोम हनुमान चालीसा पाठ से गूंज उठा. शंकराचार्य ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है और रहेगा यह घोषित किया. शंकराचार्य सभी शासकों से ऊपर है. मुगल व अंग्रेजों की बर्बर कूटनीति के माध्यम से देश की सभ्यता और संस्कृति का नाश किया गया. हमारे सबके पूर्वज आर्य हिंदू वैदिक सनातनी है.
आज विश्व को कोई अगर दिशा देने में समर्थ है तो वह सनातन धर्म ही है. हमारे वर्ण, आश्रम धर्म के अंदर सभी मनुष्यों की आजीविका उनके जन्म से सुरक्षित है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि देशों ने हमारे पूर्वजों के संविधान मनुस्मृति को आधार मानते हुए ही वैकल्पिक वर्णों की व्यवस्था की.
हमारे सनातन सिद्धांत को पूरा विश्व अगर स्वीकार कर ले तो लोक और परलोक दोनों सिद्ध हो जाए बस हम सब को समझने की आवश्यकता है. शूद्र शब्द हीनता का प्रतीक नही है ये एक पवित्र शब्द है जो वर्ण व्यवस्था का आवश्क अंग है. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे, विधायक बामुकुंदचार्य, भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीना ने भी शंकराचार्य का आशीर्वाद लिया.
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