Jaipur: राज्य में पॉक्सो एक्ट को लागू हुए एक दशक हो गया, लेकिन इसकी पूर्ण पालना नहीं हो पा रहा है. दूसरी ओर देश में सबसे ज्यादा पॉक्सो के मामले राजस्थान में दर्ज हो रहे हैं. ऐसे में पॉक्सो एक्ट के क्रियान्वयन में आ रही चुनौतियों को निपटने के लिए राज्य स्तरीय सेमीनार आयोजित की गई. सेमीनार में विशेषज्ञों ने एक्ट के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अपने-अपने सुझाव दिए.


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जुवेनाईल जस्टिस कमेटी और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पॉस्को एक्ट को लागू करने के लिए पुलिस एकेडमी में स्तरीय सेमीनार आयोजित की गई। सेमीनार में न्यायिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, शिक्षाविद्, मनौवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता और बच्चों से जुडे विशेषज्ञ शामिल हुए. राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पोक्सो एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं. एडीजी राजीव शर्मा ने कहा कि पॉक्सो के प्रकरण राजस्थान में दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा दर्ज हो रहे हैं. पॉक्सो के मामले में कार्रवाई के लिए रोड मैप तैयार किया जाए, लैंगिक हिंसा से पीड़ित बालकों के बेहर पुनवीस, पीड़ित प्रतिकर स्कीम, पोक्सो केसेज में पुलिस की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला. 


राज्य बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल कहा कि  हम अपराध से आहत बाल पीड़ितों के घावों को तो नहीं भर सकते, लेकिन हमारा लक्ष्य एक सौ प्रतिशत बाल पीड़ितों को एक प्रभावी मैकेनिजम के जरिए समय पर और उनकी पीड़ा के अनुरूप प्रतिकर दिलाकर उन्हें कम्पन्सेट करना. साथ ही पीड़ित बच्चों को पुनार्वासित कराने हेतु प्रयास करने हैं. बालकों को आत्म रक्षा का प्रशिक्षण स्कूलों में दिलाया जा रहा है. चाईल्ड हेल्प लाईन 1098 की गई है. बाल आयोग शिकायत आने पर तुरन्त प्रभावी से प्रसंज्ञान लेता है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने  कहा कि आज 20 नवंबर को हम अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस भी मना रहे हैं. 


साथ ही इसलिए इस सेमीनार का और अधिक महत्व बढ़ जाता है. अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस पर यह संकल्प लेना है कि पोक्सो अधिनियम 2012 को 10 वर्ष पूरे हो गये हैं, इसलिए आज इस अवसर पर क्या सुधार हो सकते हैं. इस पर हमको विचार करना है. बालकों को गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी प्रदान करना हम सभी माता पिता का कर्तव्य है. बाल पीड़ितों को त्वरित गति से प्रतिकर दिलाया जाना भी हमारा कर्तव्य है. जस्टिस विजय विश्नोई  ने कहा कि बालकों के संरक्षण के लिए किशोर न्याय अधिनियम 986 में  संशोधन हुआ. 
इस सेमीनार में हम सबको आज इसका रिव्यू करना है कि पॉक्सो एक्ट और किशोर न्याय में और क्या सुधार हो सकते है, इस पर विचार करना है. उन्होंने सुझाव दिया कि हर शहर, हर राज्य की अलग-2 समस्याऐं हैं, इसलिए अलग-2 सेमीनारों में जो  सुझाव आएंगे, उनको एकत्रित कर एक्ट में संशोधन किया जाएगा. अब वक्‍त आ गया है कि बच्चों को इस बारे में जागरूक करना पड़ेगा. बालकों को पता ही नहीं है कि उनके साथ जो व्यवहार हो रहा है, वह सही है या गलत है. बचपन एक प्रकार से खुला मन होता है कि उस समय की बातें जीवनभर याद रहती है. कानून बन गएं हैं, लेकिन इनका क्रियान्वयन कैसे हो, कहां कमियां है, हम सबको इस पर विचार करना है.  


बनेगा राज्य स्तरीय एक्शन प्लान 
सेमीनार में वक्तओं ने पॉक्सो एक्ट के क्रियान्वयन के लिए एक राज्य स्तरीय एक्शन प्लान तैयार करने का आहवान किया. एक्शन प्लान के तहत लैंगिक हिंसा से पीडित बालकों के बेहतर पुनवीस, पीडित प्रतिकर योजना, सभी हितधारकों में क्षमतावर्द्धन, पोक्सो केसेज में पुलिस की भूमिका और न्यायालय में विचारण के दौरान आने वाले चुनौतियों के समाधान सम्बन्धी विषयों पर अपने अपने विचार रखें.  


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