Jaipur News: जयपुर में ग्रेटर निगम में मेयर को लेकर `राजनीति`, दो साल में 6 बार धरना-प्रदर्शन
Jaipur News: नगर निगम हैरिटेज में 6 बार निर्दलियों और कांग्रेस पार्षदों के धरना प्रदर्शन दिया पर अब तक वर्किंग कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है. जानें..
Jaipur News: नगर निगम हैरिटेज में छह बार निर्दलियों और कांग्रेस पार्षदों के धरना प्रदर्शन और दो साल पूरे होने के बाद भी वर्किंग कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है. हैरिटेज क्षेत्र के चार विधायक भले ही पार्षदों की कमेटियां बनाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन दो साल में अपनी-अपनी विधानसभा क्षेत्र से नाम तय नहीं कर पाए हैं. दो दिन से फिर से कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों अनिश्तकालीन धरने पर बैठे हैं. विधायक भी धरना स्थल पहुंचकर उनका समर्थन कर रहे हैं, लेकिन आश्वासन की 'पोटली' फिर से पार्षदों को थमाई जा रही है.
नगर निगम में पहली बार कांग्रेस का बोर्ड बना और वो भी निर्दलीयों के सहारे. दो साल पहले समर्थन देने वाले निर्दलीय पार्षदों को आश्वासन दिया गया की कमेटियों का चेयरमैन बनाया जाएगा, लेकिन 10 नवंबर 2020 से मिली आश्वासन की 'पोटली' आज भी निर्दलीय और कांग्रेस के पार्षद लेकर घूम रहे हैं. जयपुर के नगर निगम हैरिटेज में एक बार फिर कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद अपनी ही सरकार और मेयर के खिलाफ दो दिन से धरने पर बैठे हैं. पिछले डेढ़ साल में छठी दफा है जब पार्षदों को कमेटियों के गठन को लेकर धरने पर बैठना पड़ा. पार्षदों के इस धरने में मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, मंत्री महेश जोशी, विधायक अमीन कागजी, मेयर मुनेश गुर्जर भी धरना स्थल पर पहुंचे.
उन्होंने पार्षदों से समझाइश की, सात दिन में चारों विधायक एक साथ बैठकर नाम फाइनल करने के बाद कमेटियों का गठन करने का आश्ववासन दिया, लेकिन सभी पार्षद संचालन समितियों के गठन करने की मांग पर अड़ गए. मंत्री महेश जोशी ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि जल्द नगर निगम हैरिटैज में कमेटियों का गठन हो. कांग्रेस के टिकट पर जीते-समर्थित पार्षदों को संतुलित प्रतिनिधित्व मिले. पार्टी और सरकार में संतुलित फार्मूला बनाने पर मंथन किया जा रहा है. उम्मीद है जल्द कमेटियों का होगा गठन होगा और पार्षदों को उनका हक मिलेगा. उधर प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि देरी हुई है, लेकिन अब सात दिन में कमेटियों का गठन कर दिया जाएगा, लेकिन सबसे पहला हक निर्दलीय पार्षदों का रहेगा, क्योंकि उनकी बदौलत निगम हैरिटेज में कांग्रेस का बोर्ड बना है. कांग्रेस के पार्षद मुकालते में ना रहे. विधायक अमीन कागजी ने कहा की चारों विधायक एक साथ बैठकर नाम फाइनल करके कमेटियों का ऐलान कर देंगे.
उधर, मुनेश गुर्जर के पाले से गेंद निकलने के बाद अब वो भी पार्षदों की मांग का समर्थन कर रही है. साथ में मुख्यमंत्री और यूडीएच मंत्री को पत्र लिखकर कमेटियों का गठन करने की मांग की है. दरअसल नवंबर 2020 में बोर्ड बनने के बाद अब तक मेयर मुनेश गुर्जर और सरकार ने संचालन समितियों का गठन नहीं किया है. इसको लेकर ये पिछले डेढ़ साल में 5 बार धरने पर बैठ चुके है, लेकिन न तो सरकार ने इनकी बात को कोई तवज्जो दी और ना ही यहां के विधायकों ने. दरअसल पूरा प्रकरण जयपुर के विधायकों के कारण ही अटका पड़ा है. हेरिटेज क्षेत्र के चार विधायकों में तालमेल नहीं बैठ पाना है, क्योंकि सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र से जीतकर आए पार्षदों को ज्यादा से ज्यादा कमेटियां दिलवाना चाहते हैं. हेरिटेज क्षेत्र के 4 विधानसभा क्षेत्र में सिविल लाइन्स और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र से 10-10 से ज्यादा पार्षद जीतकर आए है, जबकि किशनपोल और हवामहल से कम 10 या उससे कम है, लेकिन इन क्षेत्रों के विधायक चाहते है कि कमेटियां बराबर-बराबर संख्या में मिले, जबकि दो विधायक चाहते है कि कमेटियां पार्षदों की संख्या के अनुपात में मिले.
जयपुर नगर निगम हैरिटेज में संचालन समितियों को लेकर अब विधायकों में ही टकराव देखने को मिल रहा है. हवामहल से विधायक महेश जोशी और किशनपोल विधायक अमीन कागजी ने भले ही यूडीएच मंत्री को कमेटियां बनाने के लिए पत्र लिख दिए हो, लेकिन सिविल लाइन्स विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने विधायकों के इन पत्रों को महज दिखावा साबित किया है. उन्होंने कहा कि जब तक विधायक नाम की लिस्ट ही नहीं फाइनल करेंगे तब तक यूडीएच मंत्री कमेटियां कैसे बना सकते है? दरअसल पूरा विवाद कमेटियों की संख्या को लेकर चल रहा है. चार विधायक और चारो चाहते है? कि वे ज्यादा से ज्यादा और अच्छी कमेटियां अपने पास रखे. इसको लेकर अब तक न तो संख्या तय कर पाए और न ही चैयरमेन के नामों की सूची.
हालांकि इस विवाद को खत्म करने के लिए विधायकों ने पिछले साल 21 निर्धारित कमेटियों के अलावा अतिरिक्त 7-8 अतिरिक्त समितियां बनाने का प्रस्ताव तैयार करके नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को भिजवाया था, लेकिन धारीवाल ने इन अतिरिक्त कमेटियों को बनाने से साफ मना कर दिया, क्योंकि नगर निगम ग्रेटर में जब 21 कमेटियों के अलावा 7 अतिरिक्त कमेटियां बनी थी, तब सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए सभी कमेटियों को रद्द कर दिया था. दरअसल हेरिटेज नगर निगम में 100 सदस्यों वाले बोर्ड में कांग्रेस के 47 सदस्य हैं.
वहीं, जीतकर आए 11 में से 9 निर्दलीय पार्षदों ने समर्थन देते हुए कांग्रेस का बोर्ड बनाने में अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा कांग्रेस का मेयर बनाने में भी इन्ही निर्दलीयों ने अहम भूमिका निभाई है. तब कांग्रेस ने इनको वादा किया था कि संचालन समितियों में सभी को प्रमुखता से जगह दी जाएगी, लेकिन अब ये पार्षद खुद को ठगा सा महसूस कर रहे है. बोर्ड बनने के बाद नगर निगम हेरिटेज के हालात कितने बुरे है? इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है? कि अब तक केवल यहां एक बार ही साधारण सभा बुलाई गई है. 9 फरवरी 2021 को हुई पहली बोर्ड बैठक के बाद से अब तक मेयर ने दोबारा बैठक ही नहीं बुलाई, जबकि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम के तहत साधारण सभा 60 दिन में होना जरूरी है.
फिलहाल ग्रेटर निगम में मेयर को लेकर 'राजनीति' चरम पर है वहीं हेरिटेज में कमेटियों का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कमेटियों की मांग कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है. दूसरी ओर अविश्वास प्रस्ताव से डरी मेयर मुनेश गुर्जर भी पार्षदों को पक्ष में खड़ी हो गई हैं. उन्होंने पूरा मामला सरकार के पाले में डालते हुए कहा कि जो भी करना है, सरकार करेगी और मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है. सरकार के 2 मंत्री और विधायक का कहना है कमेटियां पार्षदों का हक है. इसी से शहर के विकास की राह खुलती है, लेकिन बड़ा सवाल यह कि सब पक्ष में हैं तो फिर कमेटियां कहां अटक गई हैं ?
Reporter: Anup Sharma
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