Jaipur News: जोधपुर और ब्यावर में गैस सिलेंडर ब्लास्ट दुखदायी है.इस  भयनक मंजर की तस्वीरें सामने आते ही पीड़ित परिजन सिहर उठते हैं.ऐसे हादसों को कंट्रोल करने और लोगों को सेफ रखने के लिए पाइप लाइन के जरिए पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) घरघर तक पहुंचाने की कवायद शुरू हो गई हैं.


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इतना ही नहीं जयपुराइट्स को रसोई गैस के लिए सिलेंडर की बुकिंग और डिलीवरी का इंतजार भी अब ज्यादा नहीं करना पड़ेगा.बता दें कि आने वाले कुछ  समय में राजधानी के हर घर की रसोई से सिलेंडर गायब हो जाएगा.उसकी जगह  सीधे एक पाइप लाइन होगी और उसी के जरिये चूल्हे तक गैस पहुंचेगी.


इसके लिए महीने में आप जितनी गैस का उपयोग करेंगे उतना ही बिल आपको भुगतान करना होगा.यानि की कनेक्शन मिलने पर उपभोक्ता पहले गैस का इस्तेमाल करेगा फिर भुगतान करना होगा.जिसे राजधानी के घरों तक सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन के सहयोग से पहुंचाने का काम किया जाएगा. 


बता दें कि मुंबई, पुणे, दिल्ली की तरह ही  अब जयपुर में भी अगले साल से लोगों के घरों में पाइप लाइन के जरिए पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) सप्लाई होने लगेगी.हालांकि ये सुविधा अभी जयपुर के नगर निगम एरिया से बाहर ही शुरू की जाएगी.अजमेर और जोबनेर रोड से इसकी शुरूआत चुनिंदा एरिया से होगी.लेकिन धीरेधीरे लाइनें बिछाकर इसे जयपुर के नगर निगम एरिया में बसी कॉलोनियों तक कवर किया जाएगा.


कैन करेगा काम
वहीं अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो साल 2030 तक 90 लाख घरों में पाइप लाइन के जरिए गैस सप्लाई करने का  सरकार ने लक्ष्य रखा है.जयपुर में टोरेंट ग्रुप की ओर से ये काम शुरू करवाया जाएगा.इसके लिए अजमेर रोड और कालवाड़ रोड पर गैस की लाइनें बिछाई जाएगी और उसके बाद कनेक्शन दिए जाएंगे.इस सुविधा के शुरू होने से इन एरिया में रसोई गैस सप्लाई के लिए सिलेण्डर की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी.अतिरिक्त मुख्य सचिव पेट्रोलियम सुबोध अग्रवाल ने बताया कि जयपुर में अजमेर रोड और जोबनेर रोड पर कुछ एरिया में पाइप लाइन के जरिए नेचुरल गैस सप्लाई की सुविधा शुरू होगी.साल 2023 में 10 हजार से ज्यादा घरों में कनेक्शन देने का टारगेट केन्द्र सरकार ने एजेंसियों को दिया है.जयपुर में अजमेर रोड पर महिद्रा सेज में सबसे पहले प्रोजेक्ट का काम पूरा करवाया जाएगा.इसके बाद महापुरा रोड पर बसी टाउनशिप के लिए लाइन बिछाई जाएगी.


जानिए किस तरह सिस्टम करेगा काम 


शहर के पास ही एक सिटी गैस स्टेशन बनाया जाएगा। जहां तक बड़ी पाइप लाइन के जरिए गैस पहुंचेगी
स्टेशन से डिस्ट्रिक रेगुलेटिंग सिस्टम तक गैस पहुंचेगी। इसके बाद पाइपलाइन को कॉलोनी, मोहल्ला या सोसायटी में सप्लाई किया जाएगा।
कॉलोनी, मोहल्ला या सोसायटी में पाइपलाइन सर्विस रेगुलेटर रायशर आइसोलेशन वॉल्व से गुजरेगी
इसके बाद पाइपलाइन सीधे रसोई में पहुंचेगी। जहां उस पर मीटर कंट्रोल वॉल्व, मीटर रेगुलेटर और अंत में अपलाइंस वॉल्व लगा होगा। इस वॉल्व से पाइप सीधे चूल्हे से जुड़ा होगा।
चूल्हे का स्विच घुमाते ही गैस आपूर्ति शुरु हो जाएगी। आप जितना यूज करना चाहें करें। मीटर में उसकी रीडिंग दर्ज होगी।
रीडिंग के अनुसार एक निश्चित अवधि बाद आपको बिल प्राप्त होगा। उसका भुगतान करना होगा।
सबसे बड़ी बात यही है कि इस पूरे सिस्टम में हादसे की आशंका नहीं के बराबर है। कुछ भी शिकायत होने पर कंपनी के कर्मचारी तुरंत पहुंचते हैं।
सबसे बड़ा फायदा नए उपभोक्ताओं को गैस कनेक्शन लेने से मुक्ति मिल जाएगी। इस सिस्टम में आपको रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके बाद कनेक्शन मिल जाएगा।
सिलेंडर बुक करवाने, उसका इंतजार करने और अचानक गैस खत्म हो जाने जैसी समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
सिलेंडर को लाने ले जाने के झंझट अतिरिक्त खर्च से भी मुक्ति मिल जाएगी।
चाहे जितनी गैस का उपयोग करें। यह आप पर ही निर्भर करेगा। कम उपयोग करेंगे तो बिल कम आयेगा। अधिक उपयोग करेंगे बिल अधिक आयेगा।
समय की बचत होगी। सिलेंडर के लिए अनावश्यक लाइन में नहीं खड़ा होना होगा।


अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने बताया कि जयपुर में अलग-अलग एरिया में बसी राज्य और केन्द्र सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों की सरकारी कॉलोनियों में भी इस योजना को शुरू करने पर चर्चा की जा रही हैं..इन कॉलोनियों में अगर संबंधित विभाग या सरकार ये सुविधा शुरू करवाती है तो उसे प्राथमिकता के आधार पर करवाया जाएगा..


पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली स्टेट टास्क फोर्स कमेटी की एक बैठक हुई थी..इसमें मुख्य सचिव ने यूडीएच के अधिकारियों को सुझाव दिया था कि बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन करके इसे मल्टी स्टोरी की बिल्डिंग वाले प्रोजेक्ट के लिए अनिवार्य करना चाहिए..


30 फीसदी तक पड़ेगी सस्ती
इस योजना को लेकर आगे अग्रवाल ने बताया कि पीएनजी आमजन को एलपीजी के मुकाबले 30 फीसदी तक सस्ती पड़ेगी.इसके अलावा एलपीजी के मुकाबले ये ज्यादा सेफ है.एलपीजी में प्रोपेन गैस उपयोग होती है.जो हवा से भारी होने के कारण नीचे जमा होती है और फैलती है.आग की स्थिति में भयानक होती है.वहीं पाइप लाइन में पीएनजी उपयोग करते हैं। इसमें मिथेन है। जो हवा से हल्की होती है। रिसाव की स्थिति में ऊपर उड़ जाती है। हादसे की आंशका कम रहती है.


.वर्तमान में बारां जिले में करीब 3 हजार घरों में पाइप लाइन के जरिए गैस सप्लाई की जा रही है..बारां के अन्य दूसरे एरिया के अलावा कोटा के कुछ एरिया में पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है..यहां भी साल 2023 में 3500(बारां) और 4500 (कोटा) में नए कनेक्शन जारी किए जाएंगे.इसके अलावा धौलपुर जिले में भी 3 हजार नए कनेक्शन देने के लिए प्रोजेक्ट का काम शुरू कर दिया है, जो अगले साल मार्च तक पूरा करने का अनुमान है..


इनके अलावा अलवर के नीमराणा में भी कंपनी ने प्रोजेक्ट बना दिया है, जिसमें 5500 घरों को कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है...टोरेंट कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक एक गैस कनेक्शन लेने के लिए करीब 6 हजार रुपए का खर्च आएगा.इसमें 5500 रुपए तो सिक्योरिटी के होंगे जो कनेक्शन हटाने के बाद रिफंड हो जाएंगे..इसके अलावा अगर कोई कंज्यूमर किश्तों पर पैसे देना चाहता है तो उसे कनेक्शन 7 हजार रुपए में पड़ेगा। जयपुर में वर्तमान में पीएनजी 52.50 रुपए प्रति क्यूबिक फीट के हिसाब से सप्लाई हो रही है


बहरहाल, अब वह दिन दूर नहीं जब जयपुरवासियों के घरों में पीएनजी गैस के माध्यम से रसोई का चूल्हा जलेगा.रसोई गैस सिलिंडर के बढ़ते दामों के बीच पाइपलाइन से चुल्हे तक गैस सप्लाई का प्रोजेक्ट जयपुराइट्स के लिए फायदे का सौदा साबित होगा..पाइप लाइन से गैस पहुंचने के बाद इन घरों का में गैस का खर्च आधा रह जाएगा.


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