जालोर: खाली दिमाग शैतान का घर नहीं अपितु क्रिएटिविटी का घर होता है,अपने शिक्षक की इस बात को रेवत विद्यालय के विद्यार्थियों ने साकार कर दिखाया है. जिन्होंने अपनी पुरानी कॉपियों के खाली पन्ने इकट्ठे करके वेस्ट पेपर बैंक का नवाचार किया है.


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सामान्यतः जुलाई महीने में नई कक्षा में आते ही पिछले सत्र की कॉपियां भंगार में दे दी जाती है और उन कॉपी में अनेक खाली पेज भी रद्दी में चले जाते हैं. जालोर के निकट रेवत स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के कक्षा 6 से 12 में पढ़ रहे विद्यार्थियों में से 196 विद्यार्थियों ने अपने पिछले वर्ष की कॉपियों के खाली पन्ने एकत्रित करके उनसे पुनः नई कॉपियां बना दी.



बस्ता मुक्त शनिवार के तहत आयोजित इस गतिविधि में गुरुजी के कहने पर बच्चों ने अपने पिछले साल की पुरानी कॉपियों को टटोला और उन कॉपियों में बचे हुए खाली पेपर विद्यालय लाकर एकत्रित किए. इस अभियान का नाम वेस्ट पेपर बैंक दिया गया.


पहले चरण में कक्षा 11 के विद्यार्थियों से अपनी पिछले सत्र की अनुपयोगी नोटबुक (अभ्यास पुस्तिकाओं) को टटोलकर उनसे खाली पन्ने लाने का आग्रह किया गया. कक्षा 11 के 44 विद्यार्थियों ने अपनी पुरानी कॉपियों में से 1700 से अधिक खाली पेपर ढूंढ निकाले जो रद्दी में बेकार जा रहे थे. पिछले साल की उपयोग ली जा चुकी कॉपी में इतनी बड़ी संख्या में खाली पेज मिलने पर अगले शनिवार को विद्यालय की प्रार्थना सभा में सभी बच्चों से अपनी पिछले सत्र की कॉपियां टटोलने ने का आग्रह किया गया. अनेक बच्चों ने पहले ही कॉपियां भंगार वाले को दे दी थी. 5-6 दिन तक ढूंढने के बाद अगले शनिवार को बच्चे जब खाली पेपर लेकर आए तो यह संख्या 8500 पेज से भी अधिक हुई .


बाइंडिंग कर बनाई नई कॉपी -


यह रद्दी पेपर अलग-अलग कॉपियों के होने के कारण असमान आकार के थे शनिवारिय गतिविधि के अंतर्गत इन्हें विद्यार्थियों ने इन्हें व्यवस्थित जमाया गया. लगभग 100-100 पेज का सेट बनाकर पिनिंग की गई.


बाद में इन्हें प्रिंटिंग प्रेस पर ले जाकर समान आकार में कटिंग कर दिया गया. इस प्रकार 85 नई कॉपियां तैयार हो गई.


रद्दी बनी पुरस्कार


वेस्ट पेपर बैंक के तहत तैयार हुई इन कॉपियों को विद्यालय में होने वाले विभिन्न आयोजनों में विजेता छात्रों को पुरस्कार स्वरूप दिया जा रहा है.


पर्यावरण शिक्षा के साथ सहकारिता और टीम वर्क का संस्कार भी- जोशी


वेस्ट पेपर बैंक की योजना के योजनाकार शिक्षक संदीप जोशी बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है. एक छोटे से विद्यालय में कितनी बड़ी संख्या में कागज प्रतिवर्ष वृद्धि में जाता है, यह अत्यंत चिंताजनक है. व्यापक स्तर पर देखें तो राज्य भर में और देश भर में पिछले वर्ष की कॉपी में खाली बच गए पेज के रूप में बहुत बड़ी मात्रा में कागज का दुरुपयोग हो रहा है. पहले अनेक परिवार व्यक्तिगत स्तर पर पुराने कागज से पुनः नई कॉपी बनाते थे. हमने पर्यावरण संरक्षण, सहकारिता एवं सामूहिकता के शिक्षण के तौर पर यह वेस्ट पेपर बैंक का नवाचार किया है.


शानिवारिय कार्यक्रम में विद्यालय प्रार्थना सभा मे इन नई कॉपियों के बैंक का शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर समस्त विद्यार्थियों के साथ संस्था प्रधान छगनपुरी गोस्वामी, रमेश गर्ग, संदीप जोशी, अनिल प्रजापत, रजनी पोमल, लक्ष्मण राम गोदारा, रणजीत सिंह, सुमित कुमार, अनिता तिवारी, शंकरलाल हरिप्रकाश परमार, राकेश रोशन, मेघाराम , अजमत अली, भरत कुमार उपस्थित रहे.


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