Kamakhya Devi Temple : वो मंदिर जहां प्रसाद में मिलता है रजस्वला का कपड़ा
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Kamakhya Devi Temple : वो मंदिर जहां प्रसाद में मिलता है रजस्वला का कपड़ा

Kamakhya Devi Temple : मां कामाख्या को समर्पित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक हैं.  इस मंदिर के बारे में कई ऐसी पौराणिक कहानियां हैं जिसे सुनने के बाद तब तक आप यकीन नहीं करेंगे. जबतक आप स्वंय जाकर मंदिर में मां कामाख्या के दर्शन ना कर लें.

 

Kamakhya Devi Temple : वो मंदिर जहां प्रसाद में मिलता है रजस्वला का कपड़ा

Kamakhya Devi Temple : मां कामाख्या को समर्पित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक हैं.  इस मंदिर के बारे में कई ऐसी पौराणिक कहानियां हैं जिसे सुनने के बाद तब तक आप यकीन नहीं करेंगे. जबतक आप स्वंय जाकर मंदिर में मां कामाख्या के दर्शन ना कर लें.

इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. बल्कि मंदिर में एक योनि कुंड बना है. जो हमेशा फूलों से ढका रहता है. इस मंदिर के कुंड की विशेषता ये हैं कि इससे हमेशा पानी निकलता रहता है. यहीं नहीं ये मंदिर तीन विशेष दिन बंद रहता है. 22 जून से लेकर 25 जून तक इस मंदिर में जाने की मनाही है.

इस समयान्तराल में मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. इन 3 दिनों में ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल रहता है. माना जाता है कि इन तीन दिनों में माता सती रजस्वला रहती है. इसी लिए 22 से 25 जून को कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है. 26 जून को मंदिर के पट खोल दिये जाते हैं और भक्त मां कामाख्या के दर्शन करते हैं.

पुरानी परंपरा के अनुसार माता सती के तीन दिन मासिक धर्म में चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है. जब ये कपड़ा 3 दिन के बाद हटाया जाता है तो ये पूरी तरह से लाल होता है. जिसके बाद इसी कपड़े को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांट दिया जाता है.

मंदिर के पास बहने वाली  नदी के पानी के लाल होने का कोई प्रमाण तो नहीं मिला है लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि पुजारी पानी में सिंदूर और अन्य लाल पदार्थ मिलाते हैं. दूसरी तरफ देवी कामाख्या का ये मंदिर हर महिला में ‘शक्ति’के उत्सव जैसा है. जिसे मानना ना मानना आपके ऊपर हैं.

पौराणिक कथा के अनुसार माता सती ने पिता राजा दक्ष की इच्छा का विरोध करते हुए भगवान शिव से विवाह किया था. राजा दक्ष मां सती और भोलेनाथ दोनों पर क्रोधित थे. जब राजा दक्ष ने यज्ञ किया तो माता सती और भगवान शिव शंकर को नहीं बुलाया, लेकिन देवी सती यज्ञ में पहुंच गयी. जहां राजा दक्ष ने भगवान शिव शंकर का अपमान कर दिया.

पति का अपमान माता सती नहीं सह पाई और कुंड में कूदकरअपनी आहूति दे दी. जब भगवान शिव को ये जानकारी हुई. तो भोलेनाथ, माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर भटकने लगे. विश्व का संतुलन हिल गया था. ऐसे में भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काट दिया. माता सती के शरीर के 51 टुकड़े जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए. इन्ही में से एक है कामाख्य देवी  मंदिर, जहां माता सती का योनि भाग गिरा था.

हिंदू मान्यता है जो भी भक्त जीवन में तीन बार माता कामाख्या मंदिर में दर्शन कर लें. उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है. ये मंदिर तंत्र विद्या साधकों के लिए भी जाना जाता है. जहां दूर दूर से साधु संत और तांत्रिक मंदिर के कपाट खुलने पर दर्शन को पहुंचते हैं. मां कामाख्या का मंदिर  गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी पर है .

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