त्रेतायुग में रावण ने किया था जो हवन, राजस्थान में यह गुरु 7 साल से कर रहे हैं वही अनुष्ठान
Karauli News: आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु के बारे में बताने जा रहे हैं, जो लगातार 7 साल से एक ही हवन कुंडी में आहुति दे रहे हैं.
Karauli News: हवन और यज्ञ एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसे भारतीय संस्कृति के शुभ और अशुभ दोनों कामों में पूरे विधि-विधान से किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको राजस्थान के करौली के ऐसे आध्यात्मिक गुरु के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पिछले 7 साल से लगातार हवन कर कुंडी में नित्य आहुति देत रहे हैं.
यह गुरु हर मौसम में चाहे सर्दी हो या गर्मी हर दिन हवन में आहुति देते हैं और उसके बाद ही बाकी काम करते हैं. उन्होंने अपने हवन का नाम सर्वारिष्ट निवारण बताया है. इसे वह अपने शिष्यों की शांति और जनकल्याण के लगातार करते आ रहे हैं.
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इन गुरु का नाम पंडित हरिमोहन शर्मा है. इस हवन को लेकर उनका कहना है कि यह बहुत ही दिव्य है और इसका इस्तेमाल किसी ओर अनुष्ठान में नहीं किया जाता है. इस हवन का नाम सर्वारिष्ट निवारण है, जो भृगु संहिता से लिया गया है.
इस हवन को लेकर पंडित हरिमोहन शर्मा बताते हैं कि पुराने समय में इस हवन को अपने राज्य में कोई बाधा उत्पन्न और किसी नवग्रह का असर ना पड़े इसलिए रावण द्वारा किया गया था.
रामायण में मिला इस हवन का उदाहरण
इस हवन का उदाहरण रामायण में भी समझाया गया है. यह एक ऐसा हवन जिसने रावण के नवग्रहों को उसकी इच्छा अनुसार बना दिया था. पंडित हरिमोहन शर्मा ने कहा कि एक दिन उनको भगवान की प्रेरणा हुई तभी से वह निरंतर इस हवन को करते आ रहे हैं.
विकारों और बुराइयों की आहुति
पंडित हरिमोहन शर्मा के अनुसार, इस हवन में सभी विकारों और बुराइयों की आहुति दी जाती है. इस हवन को 7 साल से अपने शिष्यों के ग्रह गोचर की दशा का उनके जीवन पर विपरीत असर ना पड़े और जनकल्याण के लिए कर रहे हैं. इस हवन का असर पूरे वातावरण होता है.
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