Rajasthan Politics: कोटा में नए एयरपोर्ट निर्माण को लेकर अब भाजपा और कांग्रेस दोनों में जुबानी जंग शुरू हो गई है.राजनीतिक गतिरोध के चलते कोटा की जनता को नया एयरपोर्ट मिलना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. नेता एक दूसरे पर हमलावर हो रहें है.एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस जुबानी जंग से कोटा की जनता को क्या हासिल होने वाला है.


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वाई सेवाओं का मुद्दा सिर्फ हवा-हवाई


बात चाहे कांग्रेस पार्टी की हो या भाजपा की दोनों ने चुनावी समय घोषणाएं की थी और कहा था कि उनकी सरकार आते ही कोटा में नया एयरपोर्ट बनाया जाएगा,लेकिन राजस्थान में जब अब कांग्रेस की सरकार है और केंद्र में भाजपा की तो भी कोटा में हवाई सेवाओं का मुद्दा सिर्फ हवा-हवाई ही नजर आ रहा है.


भाजपा नेताओं के पेट मे दर्द- गहलोत


दोनों ही पार्टियों के नेता एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे है और एक दूसरे को इस विवाद के लिए जिम्मेदार बता रहें है. गुरुवार को कोटा दौरे पर जब सीएम अशोक गहलोत ने शंभूपुरा स्थित नए प्रस्तावित एयरपोर्ट की जमीन का अवलोकन किया तो उन्होंने सीधे सीधे भाजपा की केंद्र सरकार और कोटा बूंदी सांसद ओम बिड़ला पर निशाना साधा, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार समुंदर की तरह होती है, लेकिन लगातार अड़चने पैदा कर रहें है. राहुल गांधी ने एयरपोर्ट की घोषणा की थी इसलिए भाजपा नेताओं के पेट मे दर्द हो रहा है.


जिसके कुछ समय बाद ही भाजपा विधायकों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई .कोटा के सभी भाजपा विधायकों ने एक स्वर में कहा कि तीन बार के मुख्यमंत्री को झूंठ बोलना शोभा नहीं देता है.भार रहित जमीन देना राज्य सरकार का काम है.


कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर, और कोटा लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने CM के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे गलत बताया और कहा कि चिन्हित भूमि की बाधाएं राज्य सरकार दूर करती है. किशनगढ़ और झालावाड़ इसके उदाहरण है.


श्रय लेने की लड़ाई- सीएम गहलोत


जनता का सवाल ये है कि कोटा के नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाने के मुद्दे पर जब दोनों ही पार्टियां शुरुआत से ही सहमत और एक राय है तो फिर विवाद क्या है?जब दोनों ही पार्टियां चाहती है तो फिर एयरपोर्ट के मुद्दे को पूरे 5 साल बीत जाने के बाद भी लटका कर रखा जा रहा है.हालाकिं राजस्थान के CM गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए इसे श्रय लेने की लड़ाई भी करार दिया.


हालाकिं उन्होंने श्रय लेने के आरोप भाजपा की केंद्र सरकार पर लगाये. गौरतलब है कि राज्य सरकार कोटा एयरपोर्ट के लिए 500 हेक्टेयर जमीन शम्भूपूरा इलाके में दे चुकी है और 466 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड के डाइवर्जन के लिए 21 करोड़ 13 लाख रुपये भी दे चुकी है. लेकिन अब पॉवर ग्रिड ऑफ कॉर्पोरेशन ने भी हाईटेंशन लाइन शिफ्टिंग के लिए 54 करोड़ रुपये जमा करवाने के लिए राजस्थान सरकार को पत्र जारी किया हुआ है.



कुल 106 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न कार्यों में खर्च होनी है .जिसकी वजह से एयरपोर्ट का काम अटका हुआ है.जिसके लिए केंद्र सरकार का कहना है कि भार मुक्त जमीन उपलब्ध करवाना राज्य सरकार का दायित्व है.वहीं राज्य सरकार का इसको केंद्र सरकार पर डाल रही है.लेकिन दोनों पार्टियों की इस राजनीतिक रस्सा कसी में कोटा का विकास जरूर पिछड़ रहा है.कोटा के पर्यटन के आसमानी सपने जरूर धराशाई हो रहें है और जनता दोनों पार्टियों की इस जुबानी जंग को देखेने के लिए मजबूर है.


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