Nagaur News : राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा पारदर्शिता से विकास कार्य करवाने की लाख कोशिशों के बावजूद विभागीय अधिकारी सरकार की मंशा पर पानी फेरने पर आमादा है ऐसा ही एक वाक्या नागौर जिले के मेड़ता उपखंड सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा मेड़ता रोड ग्राम पंचायत में करवाए गए नरेगा कार्य में भारी अनियमितता करते हुए ₹782636 का भुगतान कर बंदरबांट करने का मामला प्रकाश में आया है.


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आरटीआई कार्यकर्ता चेनाराम द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग मेड़ता से 24 जनवरी को प्राप्त आरटीआई सूचना रिपोर्ट में भारी अनियमितताएं उजागर हुए हैं. सार्वजनिक निर्माण विभाग मेड़ता द्वारा मेड़ता रोड ग्राम पंचायत क्षेत्र में सीसी एवं डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्यों के लिए 16 दिसंबर से 31 दिसंबर 2022 तक के लिए जारी करवाए गए नरेगा मस्टर रोल को देखने पर पाया गया कि रिया श्यामदास से मडूराम के घर तक सीसी सड़क निर्माण कार्य के लिए जारी किए गए मस्टरोल संख्या 21229 से 21242 तक में जहां एक ओर कार्य पूर्ण होने तक कहीं भी मस्टर रोल में मेट के हस्ताक्षर नहीं है ना ही उनकी उपस्थिति दर्ज है इसके अलावा कुशल कारीगरों के लिए जारी किए गए मस्टर रोल में भी उपस्थिति सहित कुशल कारीगरों के नाम तक दर्ज नहीं है और खाली मस्टरोल को दौलत राम गोदारा अधिशासी अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा प्रमाणित करते हुए कुशल कारीगरों के भुगतान सहित कार्य पूर्ण होने की एमबी भरकर 474194/- रुपयों का भुगतान उठाया गया.


इसी प्रकार ग्राम पंचायत के जाजड़ाबास से कापरीवास तक डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य के लिए मस्टरोल संख्या 21412 से 21424 तक जारी किए गए मस्टरोल के लिए ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क निर्माण कार्य को सही ढंग से नहीं कराया गया और सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा अनियमितता बरतते हुए सड़क निर्माण कार्य का ₹308442 भुगतान उठाया गया. मामला उस समय बिगड़ गया जब मेड़ता रोड से बामनावास पर बनाई जाने वाली डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य के लिए जारी किए गए मस्टरोल संख्या 21425 से 21437 के मस्टरोल में इंद्राज किए गए मैट सहित 116 नरेगा कर्मियों की उपस्थिति को यह कहकर जीरो कर दिया गया कि कार्य निरीक्षण के समय एक भी कार्मिक मौके पर नहीं पाया गया और कार्यस्थल पर किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हुआ.


मजे की बात यह है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा मस्टरोल में निरीक्षण के दौरान निरीक्षण अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है ना ही मस्टररोल में निरीक्षण अधिकारी द्वारा कहीं भी उपस्थिति दर्शाई गई है और जिस दिन दर्शाई गई है वह दिन नरेगा कर्मियों के अवकाश का होता है यानी गुरुवार का दिन यदि निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी गुरुवार को मौके पर पहुंचे तो वह मस्टरोल कहां से लेकर आए और अवकाश के दिन ही क्यों आए इस प्रकार के कई सवाल सार्वजनिक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी द्वारा करवाए गए सीसी सड़क निर्माण कार्य के अतिरिक्त कहीं भी कोई कार्य नहीं किया गया है कार्यों के मस्टररोल में तथा एमबी को फर्जी तरीके से भरकर 782636 रुपए का भुगतान उठाकर सरकारी राशि की बंदरबांट किया गया है साथ ही मेड़ता रोड ग्राम वासियों के लिए बनाई जाने वाली सड़क को कागजी घोड़े दौड़ा फाइलों में ही सड़क तैयार कर मेड़ता रोड ग्राम के विकास को रोका गया है. इस संबंध में जब ज़ी मीडिया की टीम ने अधिशासी अभियंता दौलत राम गोदारा से सवाल किए तो वह इधर-उधर बगले झांकते हुए जांच कराने की बात कहते रहे.


यूं कहे तो गुरेज नहीं होगा कि राज्य की कांग्रेस सरकार चाहे कितना भी पारदर्शिता से राज्य के विकास कार्यों को पूर्ण करने का दावा करें मगर उनके कारिंदों की कार्यप्रणाली सरकार की मंशा पर पानी फेरने के लिए काफी है या फिर सरकारी कारिंदो को सरकारी चाबुक चलने का बिल्कुल भी डर नहीं है.


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