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Rajasthani Bagru Print: 400 साल पुरानी कला, लकड़ी के ठप्पों से बनाएं जाते हैं डिजाइन, जानें क्या है बगरु प्रिंट?

Rajasthani Bagru Print: राजस्थान में एक से बढ़कर एक हाथ से बनाई जाने वाली कलाएं मौजूद हैं. इनमें से एक है जयपुर का मशहूर बगरु प्रिंट.

बगरु प्रिंट

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बगरु प्रिंट

राजस्थान में एक से बढ़कर एक हस्तकलाएं हैं, जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं.  जयपुर में पुश्तैनी कारोबार इतने हैं कि जिसका हिसाब लगाना मुश्किल हैं. इनमें से एक है जयपुर का मशहूर बगरु प्रिंट.

बगरु प्रिंट का इतिहास

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बगरु प्रिंट का इतिहास

जयपुर से 30 किलोमीटर दूर अजमेर रोड़ पर बगरू कस्बा मौजूद है.  कस्बे का जैसा अनोखा नाम है, वैसा ही अनोखा पुश्तैनी काम है.  जयपुर का यह छोटा सा कस्बा पूरी दुनिया में अपनी विशिष्ट छाप या कहे तो कलाकारी के लिए जाना जाता है. 

छपाई के लिए कुदरती रंग होते हैं प्रयोग

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छपाई के लिए कुदरती रंग होते हैं प्रयोग

बगरू प्रिंट में केमिकल कलर की बजाय कुदरती रंगों का यूज किया जाता है, जिनमें काला रंग विषेश महत्व रखता है. अनावश्यक प्रिंटिंग से बचने के लिए लकड़ी के ठप्पों को कपड़े पर दबाकर डिजाइन को छापा जाता है. इस तकनीक को दाबू के नाम से जाना जाता है.

ये समुदाय करता है तैयार

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ये समुदाय करता है तैयार

पिछले 400 सालों से दबा कहें या छिपा हुआ समुदाय इस कला को दुनियाभर में पेश कर रहा है. आज बगरु में 500 से भी ज्यादा परिवार इस हुनर के दम पर रोजी रोटी चला रहे हैं. लगभग करीब 15 हज़ार लोगों को रोज़ग़ार मिल पा रहा है. कुल मिलाकर जयपुर के  पास का ये कस्बा इस उद्योग को सारी दुनिया तक पहुंचा कर देश के साथ-साथ राजस्थान का नाम रोशन कर रहा है. 

होती हैं कई समस्याएं

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होती हैं कई समस्याएं

भले बगरु ने लोगों के दिलों में जगह बना ली हो. लेकिन अभी कलाकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कोरोना जैसी महामारी में व्यापार पूरी तरह से ठप्प पड़ने से लोगों को काफई परेशानी होती है. हालांकि सरकार कई योजनाएं चला रही हैं.