Advertisement
trendingPhotos/india/rajasthan/rajasthan1964583
photoDetails1rajasthan

Rajasthani Food: राजस्थान का दाल-बाटी चूरमा है खास, जानें इसकी स्वाद की कहानी

 राजस्थान अपने खान-पान, वस्त्र, संस्कृति की वजह से  पूरे विश्व में जाना जाता है. राजस्थान के व्यंजनों की चर्चा पूरे विश्व भर में होती है इसी कारण लोग दूर-दूर से इसका स्वाद चखने के लिए यहां आते हैं.

1/5

बाटी को गेहू के मोटे आटे से बनाया जाता है. वही चुरमे में मीठे आटे का मिश्रण होता है. आमतौर पर देखे तो दाल बाटी चूरमा दोपहर के समय खाया जाता है. इसमें घी की मात्रा ज्यादा पड़ती है जिससे इसका स्वाद और निखार के आता है. राजस्थान के जिलों में यह बहुत ही प्रसिद्ध है जैसे जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर,  जयपुर, और बूंदी आदि.

2/5

इसमें मसालेदार  दाल के साथ बाटी और चूरमा का आनंद लिया जाता है. दाल बाटी चूरमा डिश स्वादिष्ट होने के साथ ही हेल्दी भी है. 

3/5

राजस्थान में मेवाड़ साम्राज्य के संस्थापक बप्पा रावल के  द्वारा उनके शासनकाल में इसकी उत्पत्ति हुई थी.उस समय युद्ध के दौरान बाटी को भोजन के रूप में खाया जाता था.युद्ध के दौरान राजपूत सैनिक गुथे हुए आटे को गरम बालू में दबा देते थे. जब वह युद्ध के बाद वापस लौटते थे तो तपती धूप के कारण बालू गर्म हो जाता था, और उसमें रखा आटा पक जाता था. फिर सैनिक उस आटे को बाहर निकलते थे और घी में लगाकर खाते थे. उस समय इसको ऊंट के दूध या दही से खाया जाता था .

4/5

कहां जाता है कि चूरमा का आविष्कार गलती से हुआ. इसका आविष्कार मेवाड़ के गुहिलोट के रसोइए ने बाटियों पर गन्ने का रस डालकर किया था. अब यह चूरमे के रूप में विकसित हो चुका है, जिसे लोग घी, शक्कर और इलायची डालकर तैयार किया जाता है.

 

5/5

पंचमेल दाल को एक प्रकार का आविष्कार भी कहा जा सकता है. पंचमील दाल गुप्ता साम्राज्य के दरबार में खाए जाने वाला प्रमुख व्यंजन था.पंचमेल दाल जीरा, लौंग, सूखी लाल मिर्च और अन्य मसालों के तड़के बना एक मिश्रण है.