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Rajendra Rathore : नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजस्थान किसान महोत्सव में लंपी रोग से प्रभावित 41 हजार से ज्यादा पशुपालकों के खातों में 40 हजार रुपये की सहायता राशि हस्तांतरित करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राज्य सरकार लगभग आधे पशुपालकों को सब्सिडी नहीं दे रही यह केवल झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास है।
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बयान जारी कर कहा कि
बजट 2023-24 में सरकार ने लंपी स्कीन डिजीज से दुधारु गोवंश की मृत्यु होने पर प्रति गाय 40 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उस समय लंपी से 15.67 लाख पशुधन संक्रमित हुआ था तथा सरकार ने मात्र 76 हजार 30 गौवंश की मृत्यु होना स्वीकारा था। वहीं सरकार को सरपंच संघ द्वारा दिये गये ज्ञापन के अनुसार 5 लाख 13 हजार पशुधन की मृत्यु हुई थी। बजटीय घोषणा के अनुसार जो बीमा राशि 1 अप्रैल 2023 को स्वतः ही पशुपालकों के खाते में हस्तांतरित हो जानी चाहिए थी, अब सरकार वास्तविक आंकड़े छिपाकर मात्र 42 हजार पशुपालकों को 40 हजार रुपये का अनुदान देकर झूठी वाहवाही लेने का प्रयास कर रही है तथा लाखों किसानों/पशुपालकों को घोषणानुसार राशि देने से मुकर रही है। इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि सरकार गौशालाओं में लंपी से मृत्यु को प्राप्त हुए एक भी गौवंश को सहायता राशि नहीं दे रही है जिस कारण गौशाला संचालकों में भी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
राठौड़ ने कहा कि 20वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में 5.68 करोड़ पशुधन है जिसमें 1.39 करोड़ गौवंश है। पशुधन की दृष्टि से राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर है। विगत वर्ष 2022 में हकीकत में लाखों गौवंश काल कवलित हुए थे। सरकार ने लंपी स्कीन डिजिज (एलएसडी) से 76 हजार गौवंश मृत माने और जब सहायता देने का अवसर आया तो उसमें भी दुधारु गौवंश होने की शर्त जोड़ दी गई जिसके बाद बड़ी संख्या में पशुपालक पात्र होने के बावजूद अपात्र की श्रेणी में आ गये।
राठौड़ ने कहा कि बजट 2023-24 में भी सरकार ने प्रदेश के सभी पशुपालकों के लिए यूनिवर्सल कवरेज करते हुए प्रत्येक परिवार हेतु 2-2 दुधारु पशुओं का 40 हजार रुपये प्रति पशु बीमा करने के लिए 20 लाख पशुपालकों के लिए 750 करोड़ का मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के तहत प्रावधान किया है। जिसकी पालना में सरकार महंगाई राहत कैंपों में 90 लाख से अधिक पशुपालकों का रजिस्ट्रेशन होने का दंभ भर रही है। हैरानी की बात है कि जब बजटीय घोषणा में प्रति 2 दुधारू पशुओं के हिसाब से 20 लाख पशुपालकों को लाभान्वित करने की बात कही गई है तो मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना में 90 लाख पशुपालकों को कैसे लाभान्वित किया जायेगा? सरकार ने अभी तक एक भी पशुपालक को पशुधन इंश्योरेंस बीमा का लाभ नहीं दिया है कि क्योंकि अभी तक तो सरकार बीमा कंपनी का चयन ही नहीं कर पाई है। सरकार मात्र पशुपालकों को भयकंर गर्मी में जबरन बुलाकर आंकडों की जादूगरी कर रही है।
राठौड़ ने कहा कि पशुपालकों के सम्मान समारोह आयोजित करने बात कहने वाले मुख्यमंत्री जी पहले यह बतायें कि कांग्रेस ने जन घोषणा पत्र में लघु और सीमांत किसानों के पशुधन के मुफ्त बीमा की घोषणा की थी उसे 3 साल तक शुरु क्यों नहीं किया? विधानसभा में मेरे स्वयं के प्रश्न के जवाब में सरकार ने स्वीकारा है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार का कार्यकाल प्रारम्भ होने के वर्ष 2019 से सितंबर 2022 तक लघु और सीमांत किसानों के लिए मुफ्त बीमा योजना संचालित नहीं थी। जब लंपी वायरस से गौवंश तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे थे उस समय चहुंओर सरकार की किरकिरी होने के बाद आनन-फानन में अक्टूबर 2022 से पशुधन बीमा योजना शुरु तो कर दी गई लेकिन उसका वास्तविक लाभ पशुपालकों को आज दिनांक तक भी नहीं मिल पा रहा है। अकेले चूरू में दिसंबर 2022 तक सिर्फ 45 पशुओं का बीमा करने पर पशुपालकों को मात्र 53 हजार 250 रुपये की राशि अनुदान के रूप में प्राप्त हुई है जबकि जिले में 15 लाख से ज्यादा पशुधन है।
राठौड़ ने कहा कि बजट 2019-20 में प्रत्येक पंचायत समिति पर नंदीशाला खोलने की घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री जी को बताना चाहिये कि अब तक कितनी नंदीशालाएं खोली गई है?
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2019-20 से मार्च 2022 तक राज्य सरकार ने स्टांप ड्यूटी पर सेस से 1121 करोड़ रुपए और शराब पर गौ सेस से 1296 करोड़ रुपए यानी कुल करीब 2417 करोड़ रुपए कमाये जिसमें गौ संवर्धन में मात्र 1652 करोड़ ही खर्च किये और शेष 762 करोड़ रुपये की राशि सही समय पर सदुपयोग पर पशुपालकों के पशुओं का बीमा करने में भी असफल रही है।