आज आमलकी एकादशी(Amalaki Ekadashi)है. आज श्रीविष्णु (Lord vishnu)की विशेष रूप से आराधना की जाती है. मान्यता है कि आज ही के दिन राजस्थान के सीकर में खाटूश्याम(Khatu Shyam) के दर्शन हुए थे. आमलकी एकादशी पर पहली बार श्याम कुंड में बाबा श्याम का मस्तक प्रकट हुआ था.
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Khatu Shyam Mandir Story : आज आमलकी एकादशी है. आज श्रीविष्णु की विशेष रूप से आराधना की जाती है. मान्यता है कि आज ही के दिन राजस्थान के सीकर में खाटूश्याम के दर्शन हुए थे. आमलकी एकादशी पर पहली बार श्याम कुंड में बाबा श्याम का मस्तक प्रकट हुआ था.
तभी से श्याम बाबा के दरबार में होली से पहले इस आमलकी एकादशी पर मेला भरता है. और दूर दूर से बाबा श्याम के दर्शन के लिए लोग पहुंचते और परिवार में सुख समृद्धि की कामना कि जाती है.
क्या है आमलकी एकादशी व्रत कथा
एक दिन महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के महत्व के बारे में पूछा तो भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि इस एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं. एक बार भगवान विष्णु की अवज्ञा प्रकट करने पर पृथ्वी पर चंद्रमा के समान कांतिमान एक बिंदु आया. जिससे आंवले का पौधा उत्पन्न हो गया.
ये ही समय था कि भगवान विष्णु ने सृष्टि की उत्पत्ति के लिए भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति कर दी. साथ ही देवता, गंधर्व, यक्ष, राक्षस और दानवों की भी उत्पत्ति की गयी. ये सब लोग इस पौधे को देखकर हैरान थे. लेकिन तभी आकाशवाणी हुई.
जिसमें बताया गया कि ऋषियों ये पौधा समस्त पौधों में श्रेष्ठ आमलक है. जो कि भगवान विष्णु को प्रिय है. यही नहीं आंवले के स्मरण मात्र से ही गोदान का पुण्य भी मिलता है. वहीं स्पर्श करने से दोगुना और खाने से तीन गुना पुण्य मिलेगा.
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आंवले के वृक्ष को पापों को हरने वाला भी बताया गया है. कथा आगे बढ़ी कि इसके मूल में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और भगवान भोलेनाथ है. शाखाओं में मुनि, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु के साथ ही फलों में सभी प्रजापति रहते हैं. इसलिए जो भी इस आंवले के पौधे या फिर वृक्ष की पूजा करेगा उसको भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलेगी.
आकाशवाणी से फिर सभी ने पूछा कि आप कौन है ? तब आवाज आई कि जो भूतों का ज्ञाता और साथ ही वर्तमान और भविष्य को बनाने वाला है वो जो अदृश्य अवस्था में हर जगह है. मैं वही विष्णु हूं. सभी ने आकाशवाणी को प्रणाम किया.