सीकर: कलेक्टर की अभिनव पहल, किलकारी क्रैच में गूंजने लगी किलकारियां, सभी कर्मचारी ला सकते हैं अपने बच्चे
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सीकर: कलेक्टर की अभिनव पहल, किलकारी क्रैच में गूंजने लगी किलकारियां, सभी कर्मचारी ला सकते हैं अपने बच्चे

कलेक्ट्रेट परिसर में मातृत्व शिशु संरक्षण की दिशा में अभिनव पहल की गई है. यहां किलकारी क्रैच की स्थापना हुई है. कलेक्ट्रेट परिसर में फिलहाल एक दर्जन से अधिक सरकारी विभागों के जिला स्तरीय और विभागीय कार्यालय हैं.

सीकर: कलेक्टर की अभिनव पहल, किलकारी क्रैच में गूंजने लगी किलकारियां, सभी कर्मचारी ला सकते हैं अपने बच्चे

सीकर: कलेक्ट्रेट परिसर में मातृत्व शिशु संरक्षण की दिशा में अभिनव पहल की गई है. यहां किलकारी क्रैच की स्थापना हुई है. कलेक्ट्रेट परिसर में फिलहाल एक दर्जन से अधिक सरकारी विभागों के जिला स्तरीय और विभागीय कार्यालय हैं. इन कार्यालयों में कार्यरत महिला अधिकारियों के बच्चों के लिए शिशु पालना गृह के रूप में किलकारी क्रैच स्थापित किया गया है. किलकारी में नवजात से लेकर 3 साल तक के बच्चों को एकदम घर जैसा वातावरण दिया जा रहा है. 

कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने कहा कि काफी दिनों से मन था कि यहां काम करने वालीं महिला कार्मिकों के बच्चों की देखभाल के लिए कोई सुलभ व्यवस्था की जा सके. एक महिला कार्मिक को मातृत्व अवकाश के रूप में 6 महीनों से ज्यादा की छुट्टी नहीं दी जा सकती, ऐसे में किलकारी क्रैच के माध्यम से वे मांताएं अपने बच्चे का ध्यान भी रख सकती हैं और अपना काम भी कर सकती हैं. साथ ही यहां कामकाजी दंपति भी अपने बच्चे यहां ला सकते हैं, ताकि वे अपना काम भी आसानी से निष्पादित कर सकें और अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो सकें.

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रोजाना 4 से 5 बच्चे क्रैच में आ रहे 

किलकारी क्रैच की स्थापना में महिला बाल विकास विभाग की उपनिदेशक अनुराधा सक्सेना का अहम योगदान रहा. अनुराधा सक्सेना कहती हैं कि एक मां के लिए अपने बच्चे को खुद से दूर रखना बहुत ही पीड़ा दायक होता है. ऐसे में किलकारी क्रैच के माध्यम से कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को साथ लेकर आ सकती हैं और लंच टाइम में उन्हें संभाल भी सकती हैं. फिलहाल क्रैच में रोजाना औसतन 4-5बच्चे आते हैं. इनके खेलने के लिए कलेक्टर डॉ. अमित यादव के निर्देशन में खूब सारे खिलौने उपलब्ध करवाए गए हैं.

यही नहीं विशेष परिस्थितियों में 6 साल तक के बच्चों की मांएं भी अपने बच्चों को किलकारी क्रैच में ला सकती हैं. इसलिए खेल-खेल में यहां बच्चों को यहां पढ़ाई से जुड़े प्राॅप्स भी उपलब्ध करवाए जाते हैं, ताकि यहां किलकारी क्रैच में बच्चों की प्रारंभिक पढ़ाई भी होती रहे. किलकारी क्रैच की सभी दीवारों पर कार्टून के माध्यक्ष से हिन्दी, अंग्रेजी और गणित विषय की प्राथमिक जानकारियां भी उकेरी गई हैं. बच्चों की देखभाल‌ के लिए 2 अस्थाई महिला‌ कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है.

चार भागों में बंटा है किलकारी क्रैच            
महिला बाल विकास विभाग की उपनिदेशक अनुराधा सक्सेना ने बताया कि किलकारी क्रैच को विशेष रूप से कलेक्टर कार्यालय के पास बनाया गया है, ताकि‌ जिले के शीर्षस्थ अधिकारी की सुपरविजन बनी रहे. क्रैच के चार भाग में एक भाग में कृत्रिम गार्डन है, जिसमें मिनि झूले लगे हुए हैं. दूसरे कक्ष में खिलौने रखे हुए हैं. तीसरे कक्ष के दो भाग हैं. एक भाग में नवजात शिशुओं को सुलाने के लिए 3 बेबी बैड रखे हैं. दूसरे भाग में ब्रेस्ट फिडिंग के लिए 2 केबिन बनाए गए हैं.

माँ के दूध का पोषण भी अछूता नहीं            ‌‌‌‌‌

उपनिदेशक अनुराधा सक्सेना ने बताया कि किलकारी क्रैच का मुख्य उद्देश्य है कि महिला कर्मचारी अपने बच्चों को कार्यस्थल पर भी अपने आस-पास रख सकें. इसलिए इस क्रैच की सबसे बड़ी खासियत है इसमें बने दो ब्रेस्ट फिडिंग कॉर्नर. ताकि छोटे शिशुओं को मां के दूध का पोषण मिल सके. फिडिंग काॅर्नर में सिंगल-सिंगल सोफे लगे हुए हैं. बड़े पर्दे लगाकर इन्हें सेपरेट किया गया है.

सभी कर्मचारी ला सकते हैं बच्चे

कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि सिर्फ महिला कार्मिक ही नहीं परिसर में काम करने वाले सभी कामकाजी दंपति अपने बच्चों को यहां ला सकते हैं. मैं खुद उनकी व्यवस्थाओं को रिव्यू करता हूं. सोच रहा हूं कि अपने बच्चे को भी दिन में किलकारी क्रैच में लाना शुरू कर दूं. कर्मचारियों को साफ निर्देश हैं कि कलेक्ट्रेट में आने वाली चाय के अलावा भी अच्छी गुणवत्ता वाले दूध की अलग से बंधी बांध ले, जो कि किलकारी क्रैच के बच्चों को पिलाया जाए.

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