S Jaishankar calls China a unique problem: भारत और चीन की सेनाएं पिछले 4 साल से पूर्वी लद्दाख में आमने- सामने जमी हुई हैं. भारत को डराने के लिए चीन ने अपने कई खतरनाक हथियार भी बॉर्डर पर तैनात किए लेकिन भारत ने ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए समान मात्रा में सैनिक और हथियार सरहद पर पहुंचा दिए. इसके बाद से चीन ठिठका हुआ है और समझ नहीं पा रहा कि हालात से निपटने के लिए क्या करे. अब इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. 


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चीन एक अनोखी समस्या- जयशंकर


जयशंकर ने चीन को एक "अनोखी समस्या" करार देते हुए कहा है कि ट्रेड और सिक्योरिटी के सेक्टर में चीन की ओर से कई चुनौतियां पेश की जा रही हैं. हालांकि ये सब भारतीय सीमा से परे हैं. जिसका हमारे देश पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला. एक मीडिया फोरम में शनिवार को बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन में एक एक अनोखी राजनीति और एक अनोखी अर्थव्यवस्था है. जब तक कोई चीन की इस विशिष्टता को समझने की कोशिश नहीं करेगा, तब तक वहां से निकलने वाले फैसले और नीतिगत नुस्खों का भी ढंग से आकलन नहीं कर सकेगा. 


दुनियाभर में चीन पर हो रही चर्चा


विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयंशकर ने कहा कि आज काफी लोग अगर चीन के साथ बिजनेस में व्यापार घाटे की शिकायत कर रहे हैं तो इसकी वजह ये है कि हम सभी ने जानबूझकर उन लाभों को नजरअंदाज करना चुना, जिससे चीन एक ऐसी प्रणाली में था, जहां उसे समान अवसर हासिल थे. उन्होंने कहा कि चीन में उत्पादन के तरीके को दशकों तक नज़रअंदाज़ करने से महत्वपूर्ण आर्थिक असंतुलन पैदा हुआ है. 


चीन पर वार करते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, दुनिया में हम एकमात्र देश नहीं हैं जो चीन के बारे में बहस कर रहे हैं. यूरोप जाइए और उनसे पूछिए कि आज उनकी प्रमुख आर्थिक या राष्ट्रीय सुरक्षा बहसों में से बड़ी चुनौती कौन सी है तो वे चीन का नाम लेंगे. आप यूएसए को देखिए, वह भी चीन से परेशान  है और कई मायनों में उसकी यह समस्या सही भी है. इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि केवल भारत को ही चीन से समस्या है. 


'हमें अपनी घरेलू निर्माण क्षमताओं को बढ़ाना होगा'


जयशंकर ने चीन के आर्थिक प्रभुत्व को संतुलित करने के लिए देश में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर दिया. बेबाक विचार रखते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, मेरी बार- बार शिकायत से चीन अपनी हरकतें बंद करने वाला नहीं है. लिहाजा जब तक मैं घर पर अपनी ताकत नहीं बढ़ाऊंगा, तब तक वह हमें हल्के में लेता रहेगा. हमारी घरेलू नीति जितनी मजबूत रहेगी, उतनी ही मजबूत विदेश नीति भी होती जाएगी. 


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