श्रीनगर. पाकिस्तानी आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते. एक बार फिर से आतंकियों के घुसपैठ का मामला सामने आया है. बीते 18,19 सितंबर को देर रात उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तानी आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की. अंधेरी रात और खराब मौसम का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा को पनाह दी और पाकिस्तानी चौकी जाबरी के इलाके से 6 आतंकियों के घुसपैठ करने में मदद की. 


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आतंकियों की घुसपैठ के दौरान जब दो आतंकवादी नियंत्रण रेखा को पार कर रहे थे तभी सुरक्षा बल के जवानों ने उन्हें देख लिया. अंधेरे का फायदा उठाते हुए 4 आतंकी पीओके में वापस भाग गए, जबकि 2 आतंकी घुसपैठ के प्रयास में सफल हो गए. इसके बाद सुरक्षा बलों ने संदिग्ध क्षेत्रों में दबिश शुरू कीं  और पलायन मार्गों को सील कर दिया गया. 25 सितंबर 2021 की रात को, ऐसे ही एक सुरक्षा बल द्वारा नियंत्रण रेखा के करीब 800 मीटर अंदर आतंकवादियों को खोजने की कोशिश की. अगले दिन 26 सितंबर 2021 की दोपहर को सुरक्षा बलों ने पंजाब (पाकिस्तान) के जिला अटक में रहने वाले 33 साल के एक पाकिस्तानी आतंकवादी अतीक उर रहमान अनस को मार गिराया गया. वहीं, दूसरे आतंकवादी अली बाबर पात्रा ने आत्मसमर्पण करने की अपील की और उसे कोई नुकसान पहुंचाए बिना जिंदा पकड़ लिया गया.


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भारतीय सेना नहीं करती किसी आतंकी में भेदभाव


अगर आतंकवादी आत्मसमर्पण करने को तैयार हैं तो भारतीय सेना स्थानीय आतंकवादी या पाकिस्तानी आतंकवादी के बीच कोई भेदभाव नहीं करती है. आतंकियों ने घुसपैठ करने के लिए जिस रास्ते को इस्तेमाल किया था, वो सवाई नाला के आतंकी कैंप से होते हुए हल्लन शुमाली लॉन्च पैड, जाबरी और सलामाबाद नाला की ओर जाता है. बता दें,  कि वही रास्ता है जिसके माध्यम से 2016 में आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सेना की मदद से घुसपैठ की और उरी गैरीसन पर आत्मघाती हमला किया. 


गरीबी के चलते लालच देकर बनाया गया था आतंकी


आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादी ने खुलासा किया है कि उसके छह आतंकवादियों का समूह मुख्य रूप से पाकिस्तान पंजाब का है. आतंकवादी जिला ओकारा के दीपालपुर का रहने वाला है. पिता  की मौत के बाद गरीबी के कारण उसे आतंकवादियों ने गुमराह किया गया और लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने का लालच दिया. दीपालपुर में उसके परिवार में विधवा मां और एक बहन हैं. आतंकी का परिवार बहुत गरीब है. गरीबी के चलते उसने  सातवीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दी. उसने 2019 में गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप (KPK) में तीन सप्ताह के प्रारंभिक ट्रेनिंग की. 2021 में उसे एक और ट्रेनिंग कराई गई. इन ट्रेनिंग कैंपों में पाकिस्तानी सेना के जवान ट्रेनर थे. आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादी के अनुसार,अतीक उर रहमान अनस ने उसे उसकी मां के इलाज के लिए 20,000 रुपये दिए थे. इसके अलावा उससे 30000 रुपये देने का वादा किया था. 


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आतंकियों के घुसपैठ में है पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत


आतंकवादी ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान उन लोगों को 'इस्लाम खतरे में है' और कश्मीर में मुसलमानों के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों सहित अन्य कई झूठे उपदेश दिए गए. आतंकवादी की बातों से साफ पता चलता है कि उसे गरीबी के कारण आतंकवादी बनाने के लिए मजबूर किया गया. कश्मीर घाटी में बहाल होती शांति पाकिस्तान और उसके सहयोगियों को पच नहीं रही है. आतंकवाद को बनाए रखने के लिए  पाकिस्तान इस हरह की हिंसक घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करता रहता है. घुसपैठ को बढ़ावा देने में पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत जारी है, क्योंकि स्थानीय पाकिस्तानी सैन्य कमांडरों की मदद के बिना नियंत्रण रेखा को पार करना मुश्किल है. आत्मसमर्पण करने वाले पाकिस्तानी आतंकी के अनुसार, उसने और उसके 5 आतंकवादियों ने पाकिस्तानी चौकी जाबरी की छाया में एलसी बाड़ को पार किया.


गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सुरक्षा बलों ने 7 आतंकवादियों को मार गिराया गया और नियंत्रण रेखा के पास कई आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है.


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