Trending Photos
नई दिल्ली: डिफेंस सर्विसेस (Defence Services) के निचले रैंक की सैलरी और पेंशन में विसंगतियां अक्सर सामने आती है, लेकिन इसके बावजूद सेना में मेजर जनरल और उससे ऊपर के सीनियर रैंकों के बीच वेतन विसंगति से संबंधित मुद्दा कई सालों से लंबित है. सैलरी की विसंगति को दूर करने में केंद्र सरकार भी अब तक विफल रही है, जिसमें सीनियर रैंक के अधिकारियों को उनके जूनियर्स की तुलना में कम सैलरी या पेंशन मिल रही है. कुछ मामलों में जूनियर रैंक के कर्नल (Colonel) को लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General) की तुलना में ज्यादा सैलरी मिल रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विसंगति की जड़ मिलिट्री सर्विस पे (Military Service Pay) कंपोनेंट है, जो ब्रिगेडियर रैंक तक के सैन्य अधिकारियों की सैलरी में 15500 रुपये तक होता है. ब्रिगेडियर के रैंक के बाद मिलिट्री सर्विस पे को वेतन में अलग से नहीं जोड़ा जाता है. इस कारण जूनियर रैंक को सीनियर से अधिक सैलरी मिलती है. मिलिट्री सर्विस पे के कारण लेफ्टिनेंट कर्नल से ब्रिगेडियर रैंक तक के अधिकारियों का वेतन मेजर जनरल (Major General) से लेफ्टिनेंट जनरल रैंक तक के अधिकारियों के वेतन से अधिक हो जाता है.
सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल (Lieutenant Colonel) को हर महीने 226200 रुपये तक सैलरी मिल सकती है. वहीं कर्नल रैंक (Colonel Rank) के अधिकारी को 229500 रुपये और ब्रिगेडियर (Brigadier) को वेतन 233100 रुपये प्रति महीने मिल सकता है. जबकि एमएसपी कंपोनेंट जोड़ने के बाद भी आर्मी के वाइस चीफ (Vice-Chief of the Army Staff) यानी लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General) को प्रति माह 225000 रुपये से अधिक नहीं दिया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- क्या आपको पता है कितनी होती है IAS अफसर की सैलरी? घर-गाड़ी समेत मिलती हैं ये सुविधाएं
रक्षा मंत्रालय (MoD) के सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने सैन्य अधिकारियों की सैलरी विसंगति को दूर करने की कोशिश की थी, लेकिन कथित तौर पर फाइल को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें वापस रेफर किए बिना बंद कर दिया. बाद में, मामले को फिर से शुरू किया गया था, लेकिन वित्त मंत्रालय की तरफ से कई सवालों के घेरे में आ गया था. इसे सूत्रों ने पूरी तरह से 'थकाऊ और संदर्भ से बाहर' करार दिया था.
सैन्य अधिकारियों की सैलरी के साथ-साथ एक अन्य संबंधित मुद्दा पेंशन का भी है, जिसमें कई जनरलों को उनके जूनियर रैंक के अधिकारियों की तुलना में कम पेंशन का भुगतान किया जा रहा है. इस मुद्दे को समझाते हुए रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि एक विशेष प्रावधान मेजर जनरल से लेकर ब्रिगेडियर तक के पेंशन को कुछ हद तक सुरक्षित रखता है, लेकिन यह प्रावधान उच्चतर रैंक के अधिकारियों के पेंशन पर लागू नहीं होता है.
लाइव टीवी