Siddaramaiah Constitution Day Speech: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संविधान दिवस के मौके पर अपने भाषण में बड़ा बयान देकर सियासी माहौल गरमा दिया है. उन्होंने अपने दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों के "दिल जलने" की बात कही और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को निशाने पर लेते हुए इसे संविधान विरोधी करार दिया. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राजनीति के गलियारों में खलबली मच गई है.


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संविधान ने दिया मुख्यमंत्री बनने का मौका


सिद्धारमैया ने संविधान दिवस के अवसर पर बेंगलुरु के आंबेडकर भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारतीय संविधान के कारण ही वह दो बार मुख्यमंत्री बन सके. उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान के बिना मेरा मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं था. मैं संविधान का हमेशा आभारी रहूंगा." उन्होंने संविधान को सामाजिक समानता और न्याय का सबसे बड़ा माध्यम बताया और कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि हमारे पास डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान है.


'दिल जल रहे हैं' वाले बयान से मचा शोर


अपने बयान में सिद्धारमैया ने विरोधियों पर सीधा निशाना साधते हुए कहा, "कुछ लोगों के दिल जल रहे हैं, क्योंकि मैं दूसरी बार मुख्यमंत्री बना हूं. वे इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि वह जनता के समर्थन से मुख्यमंत्री बने हैं और जब तक जनता का आशीर्वाद उनके साथ है, वह किसी से डरेंगे नहीं. उन्होंने जोर देते हुए कहा, "मैं झुकूंगा नहीं, क्योंकि जनता मेरे साथ है." इस बयान को भाजपा और आरएसएस पर सीधा हमला माना जा रहा है.


आरएसएस पर तीखा हमला


सिद्धारमैया ने अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी करारा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि आरएसएस संविधान का विरोधी रहा है और इसे लागू करने के पक्ष में नहीं था. उन्होंने कहा, "संविधान विरोधी ताकतों से सावधान रहना होगा. विनायक दामोदर सावरकर और माधव सदाशिव गोलवलकर ने भी संविधान के कार्यान्वयन का विरोध किया था." उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक आरएसएस आज भी संविधान के खिलाफ खड़ा है और इसकी जगह 'मनुस्मृति' जैसी बर्बर प्रथाओं को लागू करना चाहता है.


'मनुस्मृति' को लेकर चेतावनी


मुख्यमंत्री ने आंबेडकर के बनाए संविधान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह समाज में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का आधार है. उन्होंने चेतावनी दी कि कुछ लोग संविधान को कमजोर करने और 'मनुस्मृति' जैसी पुरानी बर्बर प्रथाओं को फिर से लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "संविधान विरोधी ताकतों से सतर्क रहना जरूरी है. हमें आंबेडकर के सिद्धांतों को मजबूत करना होगा."


बयान के सियासी मायने


सिद्धारमैया का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक में कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक तनातनी चरम पर है. उनके 'दिल जल रहे हैं' वाले बयान को भाजपा के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, आरएसएस पर निशाना साधकर उन्होंने अपने समर्थकों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह संविधान और आंबेडकर के विचारों के पक्षधर हैं.


जनता का समर्थन सबसे बड़ा हथियार


सिद्धारमैया ने अपने भाषण के अंत में जनता का धन्यवाद करते हुए कहा कि जब तक जनता उनके साथ है, वह किसी भी चुनौती से नहीं डरेंगे. उन्होंने कहा, "मेरा झुकने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि मैं लोगों के लिए लड़ता रहूंगा." संविधान दिवस पर आरएसएस और भाजपा पर इस तरह की सीधी टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. अब देखना होगा कि सिद्धारमैया के इस बयान का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा.


(एजेंसी इनपुट के साथ)