सोहराबुद्दीन केस: पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने झूठी रिपोर्टिंग के लिए मांगी माफी
राजदीप पर यह आरोप लगाया गया था कि इस रिपोर्ट ने आईपीएस राजीव त्रिवेदी की प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया था और आरोप झूठे, मनगढ़ंत और अपमानजनक थे.
हैदराबाद: सोहराबुद्दीन केस (Sohrabuddin Encounter) में झूठी रिपोर्टिंग के लिए पत्रकार राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) को कोर्ट ने बिना शर्त माफी मांग ली है. मई 2007 में, सीएनएन-आईबीएन के तत्कालीन प्रधान संपादक सरदेसाई ने सोहराबुद्दीन मामले पर '30 मिनट - सोहराबुद्दीन, द इनसाइड स्टोरी 'शीर्षक से एक कार्यक्रम चलाया था. इस कार्यक्रम में चैनल ने दावा किया था कि IPS अधिकारी राजीव त्रिवेदी जो उस समय हैदराबाद स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का हिस्सा थे और सोहराबुद्दीन मामले की जांच कर रहे थे, उन्होंने सोहराबुद्दीन और उनकी पत्नी कौसर बी को अहमदाबाद ले जाने के लिए फर्जी नंबर प्लेट लगाकर कारें उपलब्ध कराई थीं.. यहां एक मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन और कौसर बी मारे गए थे.
राजदीप सरदेसाई द्वारा पेश की गई न्यूज रिपोर्ट में कहा गया था, 'पुलिस सूत्रों का कहना है कि वंजारा और पांडियन ने हैदराबाद स्पेशल इंवेस्टिगेशन यूनिट के एसपी राजीव त्रिवेदी की मदद से बीदर में सोहराबुद्दीन और कौसर बी को पकड़ा. राजीव त्रिवेदी ने फर्जी नंबर प्लेट वाली कारें मुहैया कराईं, जिसमें सोहराबुद्दीन को अहमदाबाद लाया गया और फिर एक फर्जी मुठभेड़ में मारा गया.'
इस कार्यक्रम के बाद आंध्र प्रदेश स्टेट द्वारा राजदीप सरदेसाई और सीएनएन-आईबीएन के 10 अन्य पत्रकारों के खिलाफ हैदराबाद की एक अदालत में शिकायत दर्ज की गई. अदालत के समक्ष राजदीप पर यह आरोप लगाया गया था कि इस रिपोर्ट ने राजीव त्रिवेदी की प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया था और आरोप झूठे, मनगढ़ंत और अपमानजनक थे.'
इसके बाद प्रतिवादियों ने उनके खिलाफ मामले को खारिज करने के लिए हैदराबाद में हाईकोर्ट से निर्देश मांगा था, लेकिन अप्रैल 2011 में याचिका खारिज कर दी गई थी. इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक एसएलपी (स्पेशल लीव पटिशन) को मई 2015 में खारिज कर दिया गया था. इस मामले को नोएडा स्थानांतरित करने की याचिका भी खारिज कर दी गई थी.
राजदीप ने माफी में क्या कहा
आईपीएस राजीव त्रिवेदी को बिना शर्त माफी जारी करते हुए राजदीप सरदेसाई ने पिछले साल 27 नवंबर को जो हलफनामा दायर किया था, उसमें कहा गया है, ' मैंने महसूस किया कि इसमें कोई साक्ष्य नहीं है कि स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव यूनिट के एसपी राजीव त्रिवेदी की मदद से वंजारा और पांडियन ने सोहराबुद्दीन और कौसर बी को बीदर में पकड़ा. श्री राजीव त्रिवेदी, आईपीएस के बारे में यह झूठी खबर थी...
...मैं आगे प्रस्तुत करता हूं कि मुझे यह भी एहसास है कि हमारे द्वारा प्रसारित वह खबर भी गलत थी जिसमें हमने यह दावा किया था कि आईपीएस राजीव त्रिवेदी ने फर्जी नंबर प्लेट वाली कारें मुहैया कराईं, जिसमें सोहराबुद्दीन को अहमदाबाद लाया गया था और फिर एक फर्जी मुठभेड़ में मारा गया.'
माफी को रिकॉर्ड पर लेने के बाद, अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश, हैदराबाद डी हेमंत कुमार ने राजदीप को उसी दिन बरी करने का आदेश पारित किया.
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बता दें कि दिसंबर 2018 में, एक विशेष सीबीआई अदालत ने सोहराबुद्दीन एंकाउंटर मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. न्यायाधीश एसजे शर्मा ने देखा कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की साजिश और कथित फर्जी मुठभेड़ और शेख की पत्नी कौसर बी की हत्या के आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था. इस फैसले के खिलाफ एक अपील बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है.