नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के सबसे बड़े लैंडफिल साइट गाजीपुर में कचरे का पहाड़, जिसकी ऊंचाई 2017 में 65 मीटर यानी करीब 213 फीट तक पहुंच गई थी. आसपास के लोगों के लिए मुसीबत बने इस कचरे के पहाड़ से राहत भरी खबर आई है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम का दावा है कि पिछले एक साल में ये कचरे का पहाड़ 40 फीट कम हुआ है. एक बार तो गाजीपुर के कचरे के पहाड़ की ऊंचाई ताज महल से भी ज्यादा हो गई थी.


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लैंडफिल की लगातार बढ़ रही ऊंचाई को देखते हुए पिछले साल सितंबर के महीने में यहां ट्रोमिल मशीनें लगाई गई थीं. ये मशीनें हर दिन करीब 2400 मीट्रिक टन कचरे को प्रोसेस करती हैं, जिससे मिट्टी बनाई जाती है और बचे हुए कूड़े को वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में भेजा जाता है.


इसकी जानकारी देते हुए बीजेपी सांसद गौतम गंभीर से ट्वीट करके कहा, 'हिम्मत और मेहनत बड़े से बड़े पहाड़ को हिला सकती है. मैंने वादा किया था कि अगर मैंने करके नहीं दिखाया तो दोबारा चुनाव नहीं लड़ूंगा. पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में एशिया का सबसे बड़ा कचरे का पहाड़ 1 साल में 40 फीट कम हुआ है.'



सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अरुण कुमार ने बताया कि ट्रोमिल मशीन एक बड़ी छलनी की तरह काम करती है जिसमें कचरे को अलग किया जाता है. इसमें लकड़ी, पॉलीथीन, कपड़ा आदि आरडीएफ वेस्ट में जाते हैं जो आगे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में जाते हैं और गीले कचरे से मिट्टी बनाई जाती है. इस मिट्टी में सभी न्यूट्रिएंट्स होते हैं जिससे इसे फार्मिंग में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.


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पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर डॉ. दलजीत कौर ने कहा कि हमने एक मशीन के साथ शुरुआत की थी, जिससे एक दिन में 600 मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस होता था. आज हमारे पास 8 मशीन हैं जो हर दिन 2400 मीट्रिक कूड़ा प्रोसेस कर रही हैं. इस महीने के अंत तक हम 4 और मशीन लगवा रहे हैं जिससे हर दिन करीब 3600 मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस किया जा सकेगा.