कोटा: मेडिकल कॉलेज प्रशासन की अनदेखी इन दिनों मरीज और तीमारदारो पर भारी पड़ रही है. मौसमी बीमारियों के प्रकोप के बीच नए अस्पताल और एमबीएस के बायोकेमेस्ट्री विभाग में जांचे नहीं हो पा रही है. दोनों बड़े अस्पतालों के बायोकेमेस्ट्री विभाग में लगी बारकोडेटेड मशीन खराब हो गई हैं. जिसके चलते से बायोकेमेस्ट्री की जांचे नही हो रही है. 


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मरीज जांच रिपोर्ट लेने के लिए लेब पहुंच रहे हैं तो इन्हें कल का समय देकर टरकाया जा रहा है. मरीज, जांच रिपोर्ट लेने के लिए लेब के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं. बायोकेमेस्ट्री विभाग में मशीन खराब होने से शुगर, यूरिया, क्रिएटिनिन जैसी जांचे प्रभावित हो रही हैं. 


गम्भीर मरीजों के ऑपरेशन के पहले शुगर की जांच की जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं दोनों अस्पतालों में ऑपरेशन तो नहीं टाले गए? इधर जानकारी होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन मरीजो की पीड़ा की ओर ध्यान नहीं दे रहा है. बात करें एमबीएस की तो एमबीएस की सेंट्रल लेब में एक महीने में चौथी बार मशीन खराब हुई है. 


यहां तीन मशीन लगी हैं. साथ ही यहां लगे आरओ प्लांट की भी लम्बे समय से वार्षिक मरम्मत नहीं हुई है. कचरा जम जाने और पानी की सप्लाई नहीं होने के कारण ये भी जवाब दे चुका है. वहीं नए अस्पताल के बायोकेमेस्ट्री विभाग में दो मशीन हैं और दोनों ही खराब हैं. ऐसे में मरीजो को बाहर निजी लेब पर मंहगे दामों में जांच करवानी पड़ रही है. सूत्रों की मानें तो कई सेम्पल को रखे रखे ही खराब (क्लॉट) हो गए हैं. आपको बता दें लेब में बायोकेमेस्ट्री जांच के रोज 350 के करीब सेम्पल आते हैं.