माधव चंदनकर, गोदिया/ मुंबईः मायानगरी मुंबई से 1000 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के गोदिया जिले के चारगांव के किसान प्रतीक ठाकुर की पिछले साल से 10 एकड़ की धान की खेती कीड़ों के कारण खराब हो गई थी. उसी के बाद प्रतीक इन कीड़ो की काट खोजने में जुट गए थे. प्रतीक कीड़ों की तोड़ खोज ही रहे थे तभी उन्हे मालूम हुआ कि मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में किसान चावल की खेती को बचाने के लिए देशी खाद और पानी में देसी शराब मिला रहे है और उससे उनको फायदा हुआ है. प्रतीक जिस इलाके में खेती करते है वो पर दो कीड़े मावा और तुरतुड़ा नाम पूरी फसल को खत्म कर देते है.


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जैसे ही धान के पौधे बढ़ना होने शुरू होते है ये कीड़े उसी समय लग जाते है और फसल को खराब कर देते हैं. इन्हीं कीड़ों से बचने के लिए 16 लीटर पानी में 90 एमएल शराब मिलाई जा रही है और फिर उन्हे फसलों पर स्प्रे कर दिया जाता है. प्रतीक का कहना है कि इसके छिड़काव के बाद फसलो पर किसी भी तरह के कीड़े या दूसरी चीजों के लगने की कोई बात सामने नही आई है. प्रतीक जैसे इलाके के तकरीबन 50 किसान इन दिनो चावल की खेती में देसी शराब का छिड़काव कर रहे है.


ये किसान तकरीबन 2000 हेक्टेर भूमि के मालिक हैं. शराब के छिड़काव पर एक किसान को काफी कम लगाता भी आ रही है, ये भी एक बड़ा कारण है कि किसान देसी शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं. चावल की खेती पर देसी शराब के छिड़काव की बात सामने आने के बाद कृषि जानाकारों का कहना है कि किसान जो शराब का छिड़काव कर रहे हैं वो इनती कम मात्रा में इस्तेमाल की जा रही हैं उन्हें नहीं लगता कि इससे सिर्फ कीड़ों को छोड़कर फसलों पर कोई असर होगा. वैसे वैज्ञानिको का कहना है कि शराब कि जगह पर अगल नीम छाल का भी इस्तेमाल किया जाता तो उससे भी किसानों को फायदा होता.