मुंबई के लोगों के लिए आई खुशखबरी, इस दिन से रोजाना खुलेंगी दुकानें
कोरोना संक्रमण को नियंत्रण में आते देख मुंबई नगर निगम ने 5 अगस्त से शहर की दुकानें खोल दिए जाने की घोषणा की है. ये दुकानें लॉकडाउन की वजह से पिछले करीब 4 महीने से बंद थी. लोगों के नुकसान की भरपाई करने के लिए उन्हें सप्ताह के सातों दिन दुकानें खोलने की परमिशन भी दी गई है.
मुंबई: कोरोना (Coronavirus) संक्रमण की वजह से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) में पिछले करीब चार महीनों से बंद दुकानें 5 अगस्त से खुल जाएंगी. कोरोना संक्रमण के हालत में सुधार आते देख मुंबई नगर निगम (BMC) ने 5 अगस्त से सप्ताह के सातों दिन दुकानें खोलने की अनुमति दे दी है. हालांकि पटरी पर सामान बेचने वाले दुकानदारों को अनुमति देने से सरकार ने फिलहाल इनकार कर दिया है.
बता दें कि मुंबई में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1 लाख 14 हजार 284 हो चुकी है और 6353 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. राहत की बात ये है कि मुंबई में कोरोना से ठीक होने की दर लगातार 60 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. कोरोना संक्रमण को नियंत्रण में आते देख मुंबई नगर निगम ने 5 अगस्त से शहर की दुकानें खोल दिए जाने की घोषणा की है. ये दुकानें लॉकडाउन की वजह से पिछले करीब 4 महीने से बंद थी. लोगों के नुकसान की भरपाई करने के लिए उन्हें सप्ताह के सातों दिन दुकानें खोलने की परमिशन भी दी गई है. बीएमसी की घोषणा के बाद दुकानदारों ने राहत की सांस ली है और अब वे दुकानें खोलने की तैयारियों में जुट गए हैं.
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उधर ठेली- पटरी पर सामान बेचकर गुजारा करने वाले दुकानदारों को फिलहाल मायूसी हाथ लगी है. कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका देख सरकार ने उन्हें फिलहाल अनुमति देने से इनकार कर दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने साफ कहा कि कोरोना महामारी के बीच सड़क पर सामान बेचने वाले दुकानदारों को काम शुरू करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती. आपदा प्रबंधन, राहत एवं पुनर्वास विभाग की ओर से अदालत में शपथ पत्र दाखिल कर कहा गया कि पटरी दुकानदार असंगठित क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं. ऐसे में उनके कारोबार को विनियमित करना बहुत मुश्किल है.
इससे पहले मनोज ओसवाल नाम के याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अर्जी देकर कहा था कि जब होटलों और रेस्तराओं को काम करने की अनुमति मिल गई है तो पटरी दुकानदारों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है. अदालत ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए सरकार से अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था.