चीन से मुकाबले के लिए भारत को मिलने वाली है ये एडवांटेज, बॉर्डर पर पहुंचना होगा आसान
उत्तराखंड में 2012 से बन रही रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित मुनस्यारी-मिलम सड़क के 2023 में पूरा होने की उम्मीद है. वैसे तो इस सड़क को काफी पहले ही तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन कई कारणों के चलते डेडलाइन आगे बढ़ाई गई. अब इसके 2023 के आखिरी में बनकर तैयार होने की उम्मीद है.
नई दिल्ली: चीन (China) से मुकाबले के लिए भारतीय सेना (Indian Army) का तुरंत सीमा पर पहुंचना पहले से भी ज्यादा आसान होने वाला है. इसकी वजह है बहुप्रतीक्षित मुनस्यारी-मिलम सड़क (Munsiyari-Milam-Road), जिसके 2023 में पूरा होने की उम्मीद है. सीमा सड़क संगठन (BRO) के सीनियर अधिकारी एमएनवी प्रसाद ने बताया कि उत्तराखंड में 2012 से बन रही रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित मुनस्यारी-मिलम सड़क के 2023 के आखिर से पहले बनकर तैयार होने की संभावना है.
इन वजहों से काम में हुई देरी
सीमा सड़क संगठन (BRO) के सीनियर अधिकारी एमएनवी प्रसाद के अनुसार, ऊंची पहाडियों पर बन रही सड़क को 2021 तक पूरा होना था, लेकिन मुश्किल चट्टानों से रास्ता बनाने में दिक्कतें आई हैं. उन्होंने आगे बताया कि सर्दियों में जीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान के अलावा कोविड महामारी के कारण भी प्रोजेक्ट पूरा होने में देरी हुई है. बता दें कि भारत और चीन में काफी समय से सीमा विवाद चल रहा है. ऐसे में बॉर्डर तक आसान पहुंच भारत के लिए एडवांटेज साबित होगी.
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65 किलोमीटर लंबी है सड़क
इस महत्वपूर्ण रणनीतिक सड़क के पूरा होने के बाद वाहनों द्वारा भारत-चीन सीमा पर जौहर घाटी में अंतिम सुरक्षा चौकियों तक पहुंचना आसान हो जाएगा. BRO द्वारा इस 65 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है और इसके 2023 के आखिर तक पूरा होने की संभावना है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पहले 2015 का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कई कारणों से इसे बढ़ाकर 2021 तक कर दिया गया था और अब इसकी फाइनल डेडलाइन 2023 हो गई है.
आम लोगों को भी होगी सुविधा
प्रसाद ने बताया कि निर्माण एजेंसी मुनस्यारी की ओर से 25 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर चुकी है, लेकिन इसके बाद का 15 किलोमीटर का हिस्सा मुश्किल चट्टानों से होकर गुजरता है जिसके कारण देरी हुई है. मिलम की ओर से भी सड़क का नौ किलोमीटर का हिस्सा पूरा हो गया है. इस सड़क के तैयार होने के बाद भारत-चीन सीमा पर जौहर घाटी में स्थित आखिरी सुरक्षा चौकियों तक वाहनों से पहुंचना आसान हो जाएगा. इसके साथ ही मिलम हिमनद देखने को आने वाले पर्यटक और जोहार घाटी के स्थानीय लोगों को भी काफी सुविधा हो जाएगी.