घायल रॉयल बंगाल टाइगर को बचाने के लिए वन कर्मचारियों ने किया ऐसा काम, हो रही तारीफ
वन विभाग के कर्मचारियों को हरलिखाली फॉरेस्ट कैंप में तालाब किनारे एक वयस्क नर बाघ पड़ा मिला. बाघ बहुत कमजोर और अस्वस्थ हालत में पड़ा हुआ था. वनकर्मी बाघ के पास गए और उसे खिलाने की कोशिश की.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) का डेल्टा इलाका अभी भी सुपर साईक्लोन 'यास' की तबाही से निपटने की कोशिशें कर रहा है. इस बीच सुंदरबन (Sunderban) में एक मार्मिक दृश्य देखने को मिला है. यहां जिंदगी और मौत से जूझ रहे रॉयल बंगाल टाइगर को बचाने के लिए एक वन कर्मचारी ने अपनी पूरी तकत झोंक दी. सुंदरबन टाइगर रिजर्व में वन कर्मचारी ने मरते हुए रॉयल बंगाल टाइगर को खिलाने और पानी पिलाने की कोशिश की. हालांकि अंत में वो जिंदगी की जंग हार गया.
वन विभाग के कर्मचारियों को हरलिखाली फॉरेस्ट कैंप में तालाब किनारे एक वयस्क नर बाघ पड़ा मिला. बाघ बहुत कमजोर और अस्वस्थ हालत में पड़ा हुआ था. वनकर्मी बाघ के पास गए और उसे खिलाने की कोशिश की. उन्होंने बाघ को पानी देने की भी कोशिश की. लेकिन वह इतना कमजोर हो चूका था कि वह कुछ भी खा-पी नहीं सकता था. वनकर्मियों ने बाघ को इलाज के लिए सजनेखली ले जाने की कोशिश की लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई.
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पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन विनोद कुमार यादव ने ज़ी मीडिया से बातचीत में बताया की बाघ की उम्र ज्यादा हो चुकी थी जिसके चलते उसकी मौत हो गई. NTCA दिशा-निर्देशों के तहत बाघ के पोस्टमार्टम की तैयारियां की जा रही हैं.
अभी पिछले हफ्ते ही सुंदरबन का इलाका भयानक यास तूफान के चलते काफी ज्यादा प्रभावित हुआ था और सुंदरबन का इलाका जलमग्न हो गया. साथ ही तेज लहरों के चलते सुंदरबन के इलाकों में पानी भर गया था. कुछ विशेषज्ञों ने सवाल उठाए कि असल में बाघ की उम्र ज्यादा थी. कमजोरी के चलते बाघ तेज लेहरों से मुकाबला नहीं कर पाया और अपने स्थान से बह कर यहां आ पंहुचा?
उन्होंने कहा कि इंसानियत दिखाते हुए वन विभाग ने इस बाघ की जान बचाने की जो कोशिशें कीं उसे देख समाज के कोने-कोने से लोगों ने उनकी सराहना की है.