`भूत` ने अपने दुश्मन पर कराई FIR, पुलिस ने लगा दी चार्जशीट, जब हाईकोर्ट में पहुंचा मामला तो जज समेत सब हक्का-बक्का
Ghost filed FIR: आप सबने कोर्ट-कचहरी और पुलिस थानों की आए दिन कोई न कोई मामला या कहानी सुनते ही होंगे, लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भूत ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई हो. आप सोच में पड़ जाएंगे, लेकिन यह सच हुआ है इसी भारत में. जानें पूरा मामला.
Allahabad High Court: यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट में सामने आए एक अजीबोगरीब मामले सामने आया है. जिसके बाद जो भी यह मामला सुन रहा है हर कोई चकरा रहा है. ये सुनने में भी अजीब लगेगा कि कोई भूत भी FIR करा सकता है. यहां मृतक व्यक्ति के नाम से साल 2014 में एक जमीन के विवाद में एक ही परिवार के पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया. वहीं, जांच अधिकारी ने भी बयान दर्ज कर लिया और चार्जशीट भी लगा दी. फिर चलता रहा केस.
हाईकोर्ट में पहुंचा मामला
यह मामला यूपी के कुशीनगर का है. दरअसल, मरने के तीन साल बाद मृत व्यक्ति ने पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाई. अब आप भी सोच रहे होंगे आखिर भूत एफआईआर कैसे करवा सकता है? इस पूरे मामले को जानने के लिए पूरी कहानी जानिए.
जज समेत सभी हैरान
हाई कोर्ट ने कुशीनगर पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इस केस के तथ्यों से हैरान हूं. किस तरह से पुलिस अपराध की विवेचना करती है. पुलिस ने तीन साल पहले मर चुके आदमी का बयान दर्ज कर लिया. ये कैसे किया होगा? कोर्ट ने SP कुशीनगर को निर्देश दिया कि यहां एक ‘भूत’ निर्दोष को परेशान कर रहा है. विवेचना अधिकारी को अपना बयान दर्ज करा रहा है. ऐसे विवेचना अधिकारी की जांच करके रिपोर्ट पेश करें.
साथ ही, हाई कोर्ट ने आपराधिक केस की कार्रवाई को रद्द कर दिया. कोर्ट ने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि इस मामले में वादी के वकील को भविष्य में सावधानी बरतने की सीख दें.
जानें क्या था पूरा मामला
ये अजीबो-गरीब मामला शिकायतकर्ता शब्द प्रकाश से जुड़ा है, जिसकी 19 दिसंबर 2011 मौत हो गई थी. कुशीनगर की कोतवाली हाता में एक FIR 2014 में दर्ज होती है. इसमें वादी शब्द प्रकाश थे, आरोपी पुरुषोत्तम समेत 4 लोगों को बनाया गया. धारा धोखाधड़ी, धमकी देने की लगाई गई. जांच के बाद विवेचक ने 23 नवंबर 2014 में चार्जशीट लगा दी.
इसके बाद पुरुषोत्तम समेत चारों ने हाईकोर्ट में चार्जशीट को रद्द करने की अपील दाखिल की. उन्होंने केस को चैलेंज किया कि पूरा केस ही फर्जी है, जिसका समर्थन CJM कुशीनगर की रिपोर्ट में भी किया गया. उन्होंने मृतक की पत्नी के बयान और मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर रिपोर्ट दी थी. वकील ने कोर्ट में कहा कि मृतक व्यक्ति कैसे केस कर सकता है. मृत्यु प्रमाण पत्र साक्ष्यों को प्रस्तुत किया. चारों ने चार्जशीट रद्द करने को हाई कोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद यह मामला सामने आया.