लखनऊ: कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ जंग में पूरा देश जुटा है. दूसरी लहर (Second Wave) ने हर राज्य को असहाय बना दिया. राज्य इस आपदा से निपटने में जुटे रहे और अब भी जुटे हैं. लेकिन एक राज्य ऐसा भी है जिसने न सिर्फ हालात का मुकाबला किया बल्कि दूसरों के लिए नजीर भी बना. जी हां हम बात कर रहे हैं देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की.


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की यूपी मॉडल की तारीफ


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क्या है यूपी मॉडल (UP Model), इसकी बात से पहले आपको इस मॉडल की तारीफ करने वाली दो बातें बताते हैं. पहली तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से, जिसने यूपी के गांवों में कोरोना से निपटने पर ट्वीट करते हुए कहा कि भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टू-डोर जाकर कोरोना के लक्षण वाले लोगों की रेपिड टेस्टिंग के साथ आइसोलेशन से लेकर कोरोना किट उपलब्ध कराने की पहल की है.


बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी की यूपी मॉडल की सराहना


दूसरी तारीफ बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने की, जिसने यूपी के हर बड़े शहरों में पीडियाट्रिक बेड बनाने के सरकार के फैसले की प्रशंसा करते हुए महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि महाराष्ट्र में भी यूपी सरकार की तरह पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (PICU) बनाने पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा है.


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ट्रिपल 'टी' से यूपी मॉडल हुआ सफल


यूपी मॉडल की चर्चा देश के साथ दुनियाभर में हो रही है. इसमें खास है ट्रिपल टी. ट्रिपल टी यानी ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट. जिसके जरिए यूपी में संक्रमितों की तेजी से पहचान हो रही है. तेजी से टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है और इलाज में भी तेजी बरती जा रही है.


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यूपी के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों पर नजर रखने के लिए यहां ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है और गांवों में घर-घर जाकर दवाइयों की किट दी जा रही है. यही नहीं तीसरी लहर से मुकाबले की भी तैयारी तेज है. यही वजह है कि छोटे शहरों में भी वेंटिलेटर बेड तैयार किए जा रहे हैं और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचाए जा रहे हैं.


कोरोना के खिलाफ यूपी मॉडल यूं ही कारगर नहीं है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) खुद जमीन पर जाकर लगातार हालात का जायजा ले रहे हैं. हर दिन किसी न किसी क्षेत्र में कोरोना से निपटने की तैयारियों की समीक्षा हो रही है और अधिकारियों को निर्देश दिया जा रहे हैं. ऐसा ही दौरा मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड इलाके में किया और स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा की.


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कोरोना के खिलाफ जंग के लिए हर जिले में कोविड कंट्रोल सेंटर बनाए गए हैं, जहां से न सिर्फ शहर की सीमाओं के भीतर बल्कि जिलेभर की निगरानी की जा रही है. यूपी मॉडल में सबसे बड़ा योगदान रहा वाराणसी मॉडल का. जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की और काशी कवच को कोरोना के खिलाफ जंग में मददगार बताया.


कोरोना के खिलाफ यूपी मॉडल के असर को समझने के लिए आपको इन आंकड़ों को देखना होगा, जो बताते हैं कि कैसे 20 दिन में ही यूपी में कोरोना के मामलों में 2 लाख से अधिक की कमी आई. 20 दिन में 2.15 लाख केस कम हुए. 33 लाख लोगों का वैक्सीनेशन हुआ. करीब 50 लाख की टेस्टिंग हुई.


यही नहीं एक दिन में टेस्टिंग कराने का रिकॉर्ड भी उत्तर प्रदेश ने बनाया और 24 घंटे में 3 लाख से अधिक टेस्ट करने वाला देश का पहला राज्य बना. इसके लिए प्रदेश की लैब्स में कुल 51 आरटीपीसीआर मशीनें लगाई गईं, जबकि 35 सेमी ऑटोमेटिक डीएनए एक्स्ट्रैक्टर लगाए गए हैं. यही वजह है कि पहले एक करोड़ टेस्टिंग में जहां 11 महीने का वक्त लगा था, वहीं दूसरे 1 करोड़ टेस्ट में सिर्फ साढ़े 4 महीने का ही वक्त लगा.


ट्रिपल टी के साथ ही सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए भी एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार किया और लोकेटर के जरिए इस पर निगरानी की. ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए यूपी सरकार की इन कोशिशों की तारीफ नीति आयोग ने भी की और दूसरे राज्यों के लिए नजीर बताया.


कोरोना की दूसरी लहर अब भी जारी है. हालांकि दूसरी लहर कुछ कम जरूर हुई है, लेकिन खतरा टला नहीं है. ऐसे में सावधानी जरूरी है ताकि इस महामारी को न सिर्फ हम हरा सकें बल्कि आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार रहें.