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नई दिल्ली: देश में कोरोना (Coronavirus) संक्रमण के मामले लगातार कम हो रहे हैं. लोगों को वैक्सीन (Vaccine) लगाने का अभियान जारी है. लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ रहे डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए एक नई चुनौती तैयार है. कोरोना संक्रमण के निशाने पर अब देश के नौनिहाल हैं.
बता दें कि राजस्थान (Rajasthan) के 2 जिलों से बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट आई है. दौसा (Dausa) में 22 दिन में 300 बच्चे संक्रमित हो गए और सीकर (Sikar) में 83 दिन में 1757 बच्चे संक्रमित हुए. वहीं मध्य प्रदेश के सागर (Sagar) में 30 दिन में 302 बच्चे संक्रमित हुए हैं. जबकि उत्तराखंड में 20 दिन में 2044 बच्चे संक्रमित हुए हैं. गनीमत की बात ये है कि इनमें से लगभग सभी बच्चे सामान्य उपचार के बाद ठीक हो गए. हालांकि कुछ जगहों से इलाज के दौरान बच्चों की मौत की खबर भी आई.
हमारा मकसद आपको डराना नहीं है बल्कि सावधान करना है ताकि बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके. बच्चों में इसे फैलने से रोका जा सके. लेकिन सबसे पहले हम आपको बच्चों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चौंकाने वाले मामलों के बारे में बताते हैं.
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राजस्थान के दौसा में बच्चों में तेजी से फैला कोरोना संक्रमण हैरान करने वाला है. दौसा जिले में पिछले 22 दिन में 300 बच्चे कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए. लेकिन संक्रमित हुए इन बच्चों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिले. हालांकि अभी दौसा में एक भी बच्चा कोरोना संक्रमित नहीं है. दौसा जिले के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि बच्चों का विशेष ख्याल रखा जाए.
मध्य प्रदेश के सागर में बच्चों पर कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है. हालात को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर है. सागर जिले में पिछले 1 महीने में 302 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए. यहां 4 संक्रमित बच्चों की मौत हो गई. सागर जिले में चाइल्ड कोविड केयर सेंटर तैयार किया गया है. हालात चिंताजनक हैं.
इन सभी के बीच उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में चौंकाने वाली बात सामने आई है. इस साल 1 से 20 मई के बीच उत्तराखंड में 9 साल से कम उम्र के 2044 बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं. इसके अलावा इस दौरान यहां 8,661 ऐसे संक्रमित मिले, जिनकी उम्र 10 से 19 साल की बीच है.
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हम आपको ये बताते हैं कि बच्चों में कोरोना संक्रमण के शुरुआती लक्षण क्या हैं? अगर आप किसी बच्चे में सांस लेने में दिक्कत की शिकायत देखें, बच्चे की नाक बह रही हो, उसे तेज बुखार या हल्की खांसी हो, बच्चा पेट दर्द की शिकायत करे, वो थका-थका सा लगे और बच्चे को दस्त या उल्टी हो रही हो तो आप सावधान हो जाएं. तुरंत कोरोना के इलाज में लगे डॉक्टरों से संपर्क करें. उनसे बात करें और स्थिति बताएं. जरूरत होने पर बच्चे की जांच जरूर करवाएं.
गौरतलब है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी भी बच्चों में कोरोना संक्रमण को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. इसे लेकर तैयारी की बात कह चुके हैं. देश के नौनिहालों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए ऐहतियात सबसे जरूरी और कारगर दवाई है. जिस कोरोना वायरस से पूरी दुनिया परेशान है, उससे बच्चों को बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतें.
सबसे पहले तो ये कि बच्चों को अलग रखें. उन्हें खुद से ही खेलने दें. बाहरी लोगों से बिल्कुल संपर्क न होने दें. अगर आप जरूरी सेवा से जुड़े हैं तो अपने घर के बच्चों से हमेशा दूरी बनाए रखें. घर में खुद भी मास्क पहनें और बच्चों को भी मास्क लगाने के लिए प्रेरित करें. बच्चों को ताजा और सेहतवर्धक भोजन कराएं. घर को हवादार बनाए रखें.
इंसान के अब तक के सबसे बड़े अदृश्य शत्रु से बचना आज भी दुनिया के लिए चुनौती है. लेकिन हमें हौसला रखना है. बच्चों के साथ खुद को भी कोरोना संक्रमण से बचाना है. अगर हम खुद स्वस्थ रहेंगे तभी बच्चों या बुजुर्गों को बचा पाएंगे.
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