आज से 2 दिनों के लिए बैंककर्मी हड़ताल पर, मुरादाबाद समेत तमाम शहरों में कैश किल्लत
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आज से 2 दिनों के लिए बैंककर्मी हड़ताल पर, मुरादाबाद समेत तमाम शहरों में कैश किल्लत

बैंक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की वजह से लेनदेन का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. ATM खाली होने की वजह से लोग निराश होकर लौट रहे हैं.

30 मई और 31 मई को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर. (फाइल फोटो)

मुरादाबाद: सैलरी में ज्यादा बढ़ोतरी की मांग को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी बुधवार और गुरुवार को हड़ताल पर है. कर्मचारियों और अधिकारियों के हड़ताल पर होने की वजह से आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मुरादाबाद में ज्यादातर ATM खाली हो चुके हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि इलाके के ज्यादातर ATM में कैश नहीं है. कई जगहों पर कनेक्टिविटी की समस्या हो रही है, जिसकी वजह से कैश नहीं निकल पा रहा है. बैंक बंद होने की वजह से 31 मई को भी यह समस्या बरकरार रहेगी. 1 जून को बैंकों के खुलने के बाद देर शाम तक ATM में कैश डाले जाएंगे. कुल मिलाकर अगले 48 घंटे तक कैश किल्लत की स्थिति बनी रहेगी.

  1. वेतन में ज्यादा बढ़ोतरी की मांग
  2. 2 फीसदी बढ़ाने से खुश नहीं बैंक कर्मचारी
  3. UFBU के बैनर तले बैंक हड़ताल का आह्वान

वाराणसी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों ने सैलरी में बढ़ोतरी पर दोबारा विचार करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. बता दें, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन (UFBU) की तरफ से दो दिनों के लिए (30 मई और 31 मई) पूरे देश में बैंक कर्मचारियों द्वारा हड़ताल का आह्वान किया गया है. UFBU 9 अलग-अलग बैंक यूनियन की बॉडी है, जिसकी वजह से बैंक हड़ताल का पूरे देश में व्यापर असर दिखाई दे रहा है.

 

 

इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) ने दो फीसदी सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. बैंक यूनियन ज्यादा सैलरी बढ़ाने की मांग कर रहा है. मांगें पूरी नहीं होने की वजह से पूरे देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में काम कर रहे कर्मचारी हड़ताल पर हैं.

 

यूनाइटेड फोरम और बैंक यूनियन की दलील है कि ऐसा एनपीए की वजह से हुआ है. अगर बैंकों पर एनपीए का भार बढ़ा है तो इसमें कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है. पिछले तीन सालों में सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ बैंक के जरिए लोगों तक पहुंचा है. बैंक कर्मचारियों ने जनधन, नोटबंदी, मुद्रा और अटल पेंशन योजना समेत सरकार की प्रमुख योजनाओं को लागू करने के लिये दिन-रात काम किया है. इन सबसे उन पर काम का बोझ काफी बढ़ा है.

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