बरेली में ट्रिपल तलाक और निकाह हलाला की पीड़ित 35 महिलाओं ने सरकार से इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए मजबूत कदम उठाने का आग्रह किया है.
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नई दिल्ली/ बरेली: सुप्रीम कोर्ट ने 'सुप्रीम' फैसला देते हुए भले ही ट्रिपल तलाक को अवैध करार दिया हो, लेकिन तीन तलाक के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. उत्तर प्रदेश के साथ देशभर में पीड़ित महिलाए लगातार सामने आ रही है. मुस्लिम महिलाओं की मांग है कि ट्रिपल तलाक के साथ-साथ निकाह हलाला के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने की मांग की है. सोमवार (09 जुलाई) को बरेली में ट्रिपल तलाक और निकाह हलाला की पीड़ित 35 महिलाओं ने सरकार से इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए मजबूत कदम उठाने का आग्रह किया है.
निकाह हलाला की पीड़ित महिला सबीना का कहना है, 'इन परंपराओं से शरियत के नाम पर सिर्फ महिलाओं का शोषण होता है. मैंने प्राथमिकी दर्ज कराई है और मैं इंसाफ चाहती हूं'. पीड़ित महिलाओं का कहना है कि इस परंपरा से सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का शोषण होता है. इसलिए सरकार को इसके इन तथाकथित प्रथाओं को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.
Bareilly: 35 victims of Nikah Halala and triple talaq urge the Government to take stronger steps to end these practices. Sabina, a Halala victim says 'These so called traditions are nothing but exploitation of women in the name of Shariat, I have registered an FIR,want justice' pic.twitter.com/USVdxtWyip
— ANI UP (@ANINewsUP) July 9, 2018
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आपको बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने भी कुछ महीने पहले निकाब हलाला प्रथा को खत्म करने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि हलाला प्रथा कुरान मजीद में इसलिए लिखी गई थी कि लोग जल्दी तलाक न दें, लेकिन इसके नाम पर कई सालों से तलाकशुदा महिलाओं का शारीरिक शोषण किया जा रहा है.
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गौरतलब है कि न्यायालय ने दो जुलाई को कहा था कि ये बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की वैधता की छानबीन करने के लिए पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ गठित करने पर विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 22 अगस्त को दिए अपने फैसले में सदियों से चली आ रही इस इस्लामिक प्रथा को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया था, जिसके बाद केंद्र की बीजेपी सरकार ने इसपर सख्त कानून बनाने की पहल की है. केंद्र सरकार तीन तलाक विधेयक को लोकसभा में पारित करवाने में कामयाब रही थी, लेकिन यह बिल अभी राज्यसभा में लंबित है.