आगरा के नेमिनाथ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का दावा है कि होम्योपैथिक दवा ने कोरोना के मरीजों को 5 से 7 दिन के अंदर ही संक्रमण से मुक्ति दिला दी. मेडिकल कॉलेज का दावा है कि अब तक जिन मरीजों को ये दवा दी गई है, उनमें 2 से 3 दिन के अंदर ही वायरस के लक्षण गायब होने लगे और इलाज शुरू होने के बाद से पहली ही रिपोर्ट में संक्रमण निगेटिव आने लगा. अब तक आम तौर पर इलाज के बाद 2 से 3 तीन रिपोर्ट्स में ऐसा हो रहा था.
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आगरा: दुनिया भर में फैले कोरोना संकट के बीच ताजनगरी आगरा से एक अच्छी खबर आई है. मानवता पर कहर ढा रहे कोरोना वायरस को खत्म करने का फॉर्मूला खोज निकालने का दावा आगरा के नेमिनाथ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज ने किया है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रदीप गुप्ता का कहना है कि कोरोना वायरस की होम्योपैथिक दवा का असर अब तक 40 से ज्यादा लोगों को कोरोना के संक्रमण से मुक्ति दिला चुका है.
5-7 दिनों में ही वायरस से मुक्ति दिलाई
आगरा के नेमिनाथ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का दावा है कि होम्योपैथिक दवा ने कोरोना के मरीजों को 5 से 7 दिन के अंदर ही संक्रमण से मुक्ति दिला दी. मेडिकल कॉलेज का दावा है कि अब तक जिन मरीजों को ये दवा दी गई है, उनमें 2 से 3 दिन के अंदर ही वायरस के लक्षण गायब होने लगे और इलाज शुरू होने के बाद से पहली ही रिपोर्ट में संक्रमण निगेटिव आने लगा. अब तक आम तौर पर इलाज के बाद 2 से 3 तीन रिपोर्ट्स में ऐसा हो रहा था.
आयुष मंत्रालय की अनुमति के बाद ट्रायल
होम्योपैथिक डॉक्टर्स ने ICMR और आयुष मंत्रालय की परमिशन के बाद फिरोजाबाद के एफएच मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 मरीजों पर ट्रॉयल शुरू किया था. इस ट्रायल के उत्साहजनक नतीजे आए हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षणों का कम होना और संक्रमण का खत्म होना होम्योपैथी मेडिकल जगत का बड़ा कारनामा होगा.
कोरोना से जंग में बिना फीस उतरना चाहते हैं डॉक्टर्स
कोरोना संक्रमण में होम्योपैथिक दवाइयों के असरकारी होने के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने उन जगहों पर भी मरीजों के इलाज की इच्छा जताई है, जहां संक्रमण ज्यादा फैल चुका है. इसके लिए पत्र लिखकर अनुमति भी मांगी गई है, ताकि देश के अन्य राज्यों में भी इलाज शुरू किया जा सके. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दवा पर रिसर्च का सारा खर्च भी नेमिनाथ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज ने खुद ही किया है. अब डॉक्टर्स नि:शुल्क सेवाएं भी देना चाहते हैं और दूसरे राज्यों के डॉक्टर्स को इसके लिए प्रशिक्षित करने की भी इच्छा जता रहे हैं.
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